हरियाली
स्वरचित मुक्तक शीर्षक-" हरियाली" मगन रहे तब तक यह वसुधा,जब तक उसपर है हरियाली- परहित का प्रण लेकर सबको बांट रही निश-दिन खुशहाली, जन-जन का कर्तव्य यही है,पंचतत्व को सदा बचाएं- दरिया दिल दाता भर देगा, रहेगी न कोई झोली खाली. रचयिता-डा.अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली

Paperwiff

by anjugahlot

06 Jun, 2024

हरियाली

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