Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
30 May, 2024
हानि
स्वरचित कविता /विषय- "हानि"
जीवन एक सुंदर सपना है,पर इतना न खो जाना-
अर्द्ध-निमीलित आँखों से,सुख की नींद न सो जाना,
पंचतत्व-तन पाकर इसकी, मनुज!देखरेख करना-
क्षिति,जल,पावक,गगन,पवन का सुलझाना ताना-बाना.
भूमि का क्षरण न होवे, जल को सदा बचाए रखना-
अग्नि रहे सीमाओं में ही, नभ को अथक सदा रहना,
रवि,शशि,तारों से मिलकर,पवन चले, सांसें महकें-
सृष्टि की हानि न होवे,मानवता कायम रखना.
योग,भ्रमण से स्वस्थ रहे तन,मन को मैला मत करना.
सदाचार और संस्कार का, मानव में अमृत भरना,
भारत-भू पर रहकर तुम,कर्मवीर का परिचय देना-
देश की हानि महापाप है,वफादार नेता चुनना.
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रचयिता- डा.अंजु लता सिंह गहलौत,नई दिल्ली
Paperwiff
by anjugahlot
30 May, 2024
हानि
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