"कन्हैया को जन्मदिन मुबारक "
. (बुंदेली भाषा में )
"ऐसो चंट कन्हैया,
1-ग्वालिन के संग गये खेलबे
हारन लगे खेल में,
झट बोले तुम झूठे हो सब
नईं देत हम दइयां,
ऐसे चंट कन्हैया -----'
गोपिन के संग रास रचावें
छुपके माखन खाबे,
तब ग्वालिन ने करी शिकायत
जसुमति के घर आके l
ऐसो चंट कन्हैया l
चंट कन्हैया बोले तबहिं
सुन लो मोरी मइया,
मोको बातन में भरमाके
अपनों मोय बना लओ,
सैनन की सांकर से बांधो
मुसक्या के उरझया लओ l
मइया देखो कहाँ लग्यो है
मेरे मुंह में दहिया,
मक्खन नेक न खायो हमने
गोपिन पकर लगायो,
और इते मोरी मताई से देत उलाहना आके l
ऐसो चंट कन्हाई l
अम्मा मोरे तनिक तनिक से
हाथ देख तुम रइंयों,
कैसे मैं इनकी मटकिन सों
माखन लेके खइयो, ऐसो चंट कन्हैया ---l
मैं रोवत बिसूरत ही रओ
नेकउ दया न आई,
माखन लेके मेरे मुख पे
तुरतईं दयो लगाई l
ऐसो चंट कन्हाई l
. सब ग्वालिन ने ताली दे दे
मोसे नाच नचबायो
नेहनें नेहने गौड़े थक गए
अंखियन नीर बहायो l
ऐसो चंट कन्हैया ----l
मइया ने तब कंठ लगा लओ
छाती से चिपका लओ,
भाग जाओ तुम झूठी ग्वालिन
मोरो सीधो लल्ला l
.. . वो न काउ से बैर करत है
न काहू की चोरी ,
वो तो इस जगती को पालक
नैक करत बरजोरी l
सब ग्वालिन तब हाथ जोड़कर
ललना की लेत बलईयां,
जुग जुग जीवे लल्ला तोरो,
जन्म दिवस सुख कारक ll"
(डॉ. ज्योति उपाध्याय
........ प्राध्यापक
आज मेरी मातृ तुल्य दीदी को भी कन्हैया जी के साथ जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाएं
ईश्वर आपको सदैव प्रसन्न, और स्वस्थ्य रखे I
मेरे सभी आत्मीय जनों को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाएं l
कान्हा आप सभी की मनोकामनायें पूर्ण करे l
मोरे कान्हा ...(लोक गीत)
यशोदा तेरा ललना, मोसे नाही बोले,
मोसे नाही बोले, ललना, मोसे नाही बोले
यशोदा तेरा ललना, मोसे नाही बोले |
ललना के माथे पे, मोर मुकुट सोहे ,
मोर मुकुट सोहे, ललना ,सबका मन मोहे,
पालना झूले ललना, पर ,मोसे नाही बोले।
माखन मिश्री खावे लल्ला ,मोसे नाही बोले।
यशोदा तेरा ललना, मोसे नाही बोले |
ललना के हाथों में ,मुरलिया सोहे,
मुरलिया बाजे तो, सबका मन मोहे,
गोपिन संग, नाचे ललना ,मोसे नाही बोले|
गैया चराए लल्ला, मोसे नाहीं बोले,
यशोदा तेरा ललना, मोसे नाही बोले |
ललना के पैरों में ,पैजनिया सोहे ,
पैजानिया छनके ,तो सबका मन मोहे,
ठुमक चले ललना ,तो ,जियरा मेरा डोले
मटकिया फोड़े लल्ला ,पर मोसे नाही बोले।
मोसे नाही बोले ,लल्ला इत उत डोले
इत उत डोले लल्ला, जियरा संग होले,
मैया रिझाए लल्ला ,पर मोसे नाही बोले
माखन मिश्री खावे लल्ला ,पर मोसे नाही बोले।
ग्वालिन संग नाचे ललना, मोसे नाही बोले।
यशोदा तेरा ललना ,मोसे नाही बोले,
मोसे नाही बोले ललना, मोसे नाही बोले,
यशोदा तेरा ललना, मोसे नाही बोले।
जय श्री कृष्णा
पूजा "सुगन्ध"
वो ब्रज बिहारी कृष्ण मुरारी मन मेरे म्ह बसग्या।
उस गिरधारी की भक्ति के म्हा मन मेरा फंसग्या।।
कण कण म्ह वास उसका के तेरे म्ह के मेरे म्ह।
एक उसका नाम साचा इस दुनिया के डेरे म्ह।
वो हे उभारै भक्तां नै जो फंसे होनी के फेरे म्ह।
मन के अँधेरे म्ह उसकी भक्ति का दिवा चसग्या।।
गोकुल के म्हा पला वो वासुदेव देवकी कै जण कै।
माखन चुराया गोपी सताई यशोदा का लाल बण कै।
गऊ चराई बंसी बजाई रहा वो कृष्ण सदा तण कै।
कालिये के फण कै ऊपर नाच्या जो लाखां नै डसग्या।।
कंश, पुतना, शिशुपाल मार धरती का बोझ घटाया।
कुरुक्षेत्र के म्हा उस कृष्ण गीता का ज्ञान सुनाया।
बन सारथी रण कै म्हा उस अर्जुन का मान बढ़ाया।
नरसी का भात भराया ओड़े रपियाँ का मींह बरसग्या।।
दादा जगन्नाथ बी उस मुरली मनोहर नै रटै जावैं सं।
गुरु रणबीर सिंह बी आठों पहर उसके गुण गावैं सं।
सुलक्षणा भक्ति कै बस म्ह हो कृष्ण दौड़े आवैं सं।
वो मोक्ष पावैं सं जिनका मन भक्ति म्ह धँसग्या।।
डॉ सुलक्षणा अहलावत
ये तीनों कविताएं श्री कृष्ण के जीवन चरित्र का बेहद खूबसूरती से वर्णन करती हैं।
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