मुझे मिलन के सपने भी उसने दिखाए थे,
पलकों पर मेरी सुनहरे ख्वाब सजाए थे।
प्यार मोहब्बत की बातों से कोसों दूर थी,
मोहब्बत के मायने उसने ही समझाए थे।
दिलाकर यकीन अपनी झूठी मोहब्बत का,
दिल के सोए अरमान भी उसने जगाए थे।
अब वो कहता है मुझे बेवफा सारे ज़माने में,
दिल से दिल के फासलें भी उसने बनाए थे।
भूल गया वो कभी तरसता था मेरे दीदार को,
ईद का चाँद और मैं दोनों एक जैसे बताए थे।
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