?नव विभोर-नव नित भौंर,
नव चेतना-नव कल्पना,
नवनूतन - नवनित निर्मित
नव स्वप्न-सी तू सुंदरा,।।
?नव प्रायः-नव नव बात ,
नव नित तुझमे-मेरी वर्तना,
नवनव-दिखूँ-नव नव लिखूँ,
नव संकल्प तुम संग-नव वर्धना,
?नव निर्माण-तुम संग- प्रिय स्वांग,
तुम सिर्फ कल्याण-मेरी नव चेतना,
नव नव वेग-नव सन्दर्भ भेद,
तुम नित नयी-मेरी परिकल्पना,
?हर दिन नव उत्कर्ष-नव संघर्ष,
फिर भी नव वेग-तू प्रबला,
नित रोज़ टूटी-नित रोज़ फूटी,
नव नित साहस-तुम नव सम्बला,
?नव नित जोश- फिर भी होश,
तुम सदा-सर्व नव वन्दना,
नित रज से उड़ी-वायु से भिड़ी,
फिर भी लिखी अनगिनत नव कथा।।
?है नव नित प्रणाम तुझको,
नव नित सम्मान तुझको,
तू नव स्वर्ण सी तू नित खरा,
क्या कहूँ-तुझ पर टिकी है ये धरा,।।
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