ग़ज़ल

Originally published in hi
Reactions 0
566
Aman G Mishra
Aman G Mishra 25 Aug, 2019 | 1 min read

रात को रोक लिया,दिन को भी ढलने न दिया , 

जूनूने इश्क़ ने कभी दिल को संभलने न दिया 


अपने दुश्मन तो हमीं ख़ुद हैँ,गिला किससे करें 

हम तो रुसवा भी हुये जाम छलकने न दिया 


हमने धड़कन को भी सीने में छुपा कर रखा 

हद के अंदर भी अरमां को मचलने न दिया 


जी में आया कि नईं दुनियां बसा लें लेकिन 

हसरते दीद ने वादों से मुकरने न दिया 


आतिशे इश्क़ ने झुलसा के रख दिया हमको 

राख होने न दिया, हमको सुलगने न दिया 


किसी मुफलिस की पूंजी की तरह रखा है 

खत जलाये थे मगर यादों को जलने न दिया


0 likes

Published By

Aman G Mishra

aman

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.