रात को रोक लिया,दिन को भी ढलने न दिया ,
जूनूने इश्क़ ने कभी दिल को संभलने न दिया
अपने दुश्मन तो हमीं ख़ुद हैँ,गिला किससे करें
हम तो रुसवा भी हुये जाम छलकने न दिया
हमने धड़कन को भी सीने में छुपा कर रखा
हद के अंदर भी अरमां को मचलने न दिया
जी में आया कि नईं दुनियां बसा लें लेकिन
हसरते दीद ने वादों से मुकरने न दिया
आतिशे इश्क़ ने झुलसा के रख दिया हमको
राख होने न दिया, हमको सुलगने न दिया
किसी मुफलिस की पूंजी की तरह रखा है
खत जलाये थे मगर यादों को जलने न दिया
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