चिंता:कविता

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 24 Aug, 2019 | 1 min read


    *चिंता ने चिता*

  से मुस्कुराते हुये कहा


  तु मुरदों को जलाती है

  मैं जिंदों को जलाती हुँ


 तु एक ही बार जलाती है

  मै हर रोज जलाती हुँ


   तु विदा कर देती है

    मै जकड़ लेती हुँ


   तु मृत्यु से जुडी है

   मै जिंदगी सेजुडी हुँ


    तु अंतिम सत्य है

    मैं प्रथम सत्य हु।

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Aman G Mishra

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