मुझे पता है !
तुम नहीं आओगे...
ये नकली दूध...दही
और....मक्कखन
भला...तुम क्यों...खाओगे !
मुझे पता है !
तुम नहीं आओगे .....
अनगिनित द्रोपदियों के
लिये इतना सारा....चीर
भला.. .कहॉं से लाओगे !
मुझे पता है !
तुम नहीं आओगे..
मॉं देवकी सी कोख..
और यशोदा सा लाड़....
अब भला....कहॉं..
पाओगे....!
किन्तु.....फिर भी....!
एक ..आस...है...
मन में....विश्वास है ....हे !
कृष्ण !
तुम्हैं........आना ही होगा बहुरूपिये कंस..
अनगिनित हैं..यहॉं
प्रभू..जी...अब तो मुक्त
कराना होगा..
कोई "महाभारत"...नहीं........
हे कृष्ण !बस ! "सौने की चिड़िया सा.."...सुन्दर ....भारत.....बनाना होगा...!!
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