हुजूर ने जितनी बार भी पृथ्वीवासियो से पंगा लेने की कोशिश की है मुँह की खाई है, और विशेष रूप से भारतवासी, ना बाबा ना | मेरा सुझाव तो यही है कि स्वर्ग पर किसी तरह का कोई संकट ना मानकर इस बात को यहीं रफ़ा दफ़ा कर दिया जाय" नारद ने संकोच के साथ अपनी बात रखी | "पर उन्हें इतनी जानकारी और खबरे इतनी जल्दी मिलती कैसे हैं" इंद्र ने पूछा, "मोबाइल, जनाब मोबाइल" नारद ने तपाक से उत्तर दिया, "इसी मोबाइल तकनीक के जरिये वो कई योजन दूर हुई घटना को तुरंत देख लेते हैं, बात कर लेते है और जानकारी साझा कर लेते हैं", काफ़ी लंबी तकरार के बाद, कुछ नया करने की सोच लिए, दोनो इस बात पर सहमत हुए कि स्वर्ग अब से भारत-वासियों पर कड़ी नज़र रखेगा और स्वर्ग की संचार व्यवस्था को पृथ्वी की तकनीक के ज़रिए उत्तम बनाया जाएगा | तुरंत ही यमराज को आदेश प्रसारित हुआ के नर्क से उन पृथ्विवसियों का स्वर्ग में अस्थाई तबादला कर दे जो मोबाइल नेटवर्क तकनीक के जानकार हैं, मोबाइल नेटवर्क के स्थापित होते ही उन्हे पुन: नर्क में प्रतिस्थापित कर दिया जाएगा | यमराज वैसे भी इस प्रकार के लोगों की नर्क में अधिकता से संशय में थे और स्वयं इस समस्या का कोई हल खोज रहे थे, देवराज की बात सुनकर उन्हे पृथ्वी की वो कहावत याद आ गई, "आम के आम गुटलियों के भी दाम" | नरक में कम होती जगह की समस्या भी दूर हो जाएगी और नकारात्मक तत्वों से भी छुटकारा मिलेगा |
तुरंत ही अमल भी हुआ, सभी तकनीकी नर्कवासियों का तत्काल में स्वर्ग के लिए टिकट कटाया गया, वहाँ मोबाइल नेटवर्क टावर लगवाए गये, सभी स्वर्गवासियों को स्मार्ट-फ़ोन दिलवाए गये, समस्याओं के समाधान के लिए जगह-जगह रिचार्ज की दुकाने और कॉल-सेंटर बनवाए गये और यूँ आधुनिकता का प्रथम सोपान चढ़ लिया गया | नए फ़ोन यानि नये कस्टमर | आनन फानन में सारे नंबर ज़रूरतमंदों को बेच दिए गये | और फिर शुरू हुआ सिलसिला उन बेहद मुहब्बत भरे फ़ोन-कॉल्स का, "सर, क्रेडिट कार्ड में टॉप अप फेसीलिटी है, इसमें दो मूवी टिकट हर महीने फ्री मिलती है, पेट्रोल भरवाने पर टॅक्स नहीं देना पड़ेगा" | "सर, इँसुरेंस ले लो, मेडिकल बेनेफिट सबसे बढ़िया हैं", कुछ लोग तो स्वर्ग के प्लॉट भी देवताओं को रियायती दरों पर बेचना चाह रहे थे और बची-कूची कसर "whatsapp" नाम के आधुनिक नारद ने कर दी थी | अब खबरें तेज़ी से आ रही थी | अब हर छोटी-बड़ी बात पर देवताओं की नज़रें थी | लेकिन वो तकनीक ही क्या जो एक समस्या को बिना दूसरी समस्या खड़ी किये बगैर सुलझा दे, बस अब एक छोटी परेशानी जो थी वो इन अनचाही कॉल्स को लेकर | कुछ और समाधान ना पाकर सभी देवताओं ने सोचा हर मुसीबत का हल त्रिदेव के पास तो होता ही है, उन्ही से मदद ली जाए | तो सभी पालनहार ब्रह्मा के पास पहुचे, उन्होने समस्या सुनी और एक मोबाइल-देव नियुक्त करने का सुझाव दिया |
वरुण देव, जो वायु-देवता का कार्यभार देख रहे थे, को अतिरिक्त कार्य भार सौंपते हुए बिना कोई अतिरिक्त भत्ते या प्रोमोशन दिए, यह कार्य सौपा गया, हालाँकि वे प्रोमोशन ना मिलने के कारण ज़्यादा खुश नहीं थे पर एक नयापन देखते हुए उन्होने ये कार्यभार स्वीकार कर लिया | मोबाइल नेटवर्क सुचारू रूप से चलाने के लिए नये मोबाइल टावर का निर्माण जोरों पर था, स्वर्ग के गौरवशाली इतिहास में जैसे एक नया स्वर्णिम अध्ध्याय जुड़ने वाला था, सभी देवता खुश ये देख कर बेहद खुश थे | जल्द ही तकनीक के अच्छे और बुरे दोनो परिणाम सामने आ रहे थे | त्रिदेव भी इससे अछूते ना रहे, महाशिव इन दिनो अपना विनाश का काम निर्विघ्न रूप से "पबजी" पर कर रहें हैं और श्री हरि क्षीर सागर में अपने युगों पुराने शेषनाग के आसन पर बिराजे पुराने नोकिया फ़ोन पर 'स्नेक' का आनंद ले रहे थे और तो और ब्रम्हा अपने चारो आनन के साथ मिल कर लूडो के मज़े लूट रहे हैं, सभी देवियाँ जिनके कई कई हाथों में शताब्दियों से बस अस्त्र शस्त्र ही थे, अब अलग अलग प्रकार के मोबाइल नज़र आ रहे हैं |
हर छोटा-बड़ा देवता बस मोबाईल में गुम था, सामान्य जीवन अस्तव्यस्त हो चूका था, तीनो लोकों में त्राहि त्राहि मची हुई थी, पुनः नारद और इंद्र एक दूसरे से मुखातिब हुए, "मैं ना कहता था, स्वर्ग में मोबाईल रूपी राक्षस को मत आने दो, पर आपको तो बस हर बार की तरह अपने सिहासन की सुरक्षा की पड़ी थी, अरे क्या रखा है उस साधारण से व्यक्ति में जिसकी आज कल समूचे भारतवर्ष में बहुत पैठ हो रही है, चुनाव का मौसम है कुछ दिनों में सब निपट जायेगा | फिर सब कुछ सामान्य हो जायेगा " नारद ने अपने मन की एक ही बार में कह दी, "मगर खबर तो मिलनी ही चाहिए ना" इंद्र ने प्रयुत्तर दिया "आज लेकिन लगता है जो काम मानव कर सकते हैं उन्हें देवता नहीं कर सकते, मोबाइल के महाप्रयोग के बाद भी पृथ्वी पर सब सुचारु रूप से चल रहा है मगर यहाँ सब बिगड़ता जा रहा है, देव यक्ष गन्धर्व सभी मोबाइल रोग से पीड़ित हो चुके हैं , पर इसका कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है, आखिर पृथ्वी वासी ऐसी समस्याओं से कैसे झूझते हैं" ? "चुनाव महाराज चुनाव" जब भी कोई भी चीज अधिकता से हावी हो जाती है, हर पांच साल में सब कुछ सामान्य करने के लिए भारतवासी चुनाव करवा लेते हैं, इससे लोगों का ध्यान दूसरी और चला जाता है और आम जन को सामान्य होने का मौका मिल जाता है हमें भी वही करवाना चाहिए" नारद ने तत्कालीन समस्या से निजात का एक नया प्रस्ताव बताया | "तो ठीक है, तुरंत यमराज को आदेश "वाटसप्प" किये जाएँ, और चुनाव परियोजना से सम्बंधित लोगों का तबादला नर्क से स्वर्ग में करवाया जाये......."
स्वर्ग ने पृथ्वीवासी लोगों का अनुसरण करना शुरू कर दिया था, गंगा उलटी बह रही थी, स्वर्ग के इतिहास में एक और नया पन्ना जुड़ने का क्रम शुरू हो चूका था.....
आपका ....
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