#22_अगस्त_2019_देश_के_प्रख्यात_पत्रकार_लेखक_एवम_मीसाबंदी_कुलदीप_नैय्यर_की_प्रथम_पुण्यतिथि_पर_विशेष
"सच्चाई, सद्भावना और संवेदना को कलम से साकार करने वाले पत्रकार थे कुलदीप नैय्यर, रीवा से था गहरा नाता, मेरे बुलावे पर 1983 में आयोजित विचार गोष्ठी में प्रमुख वक्ता के रूप में की थी शिरकत"
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भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री पं लाल बहादुर शास्त्रीय के निजी प्रेस सचिव, 95 वर्ष के अपने जीवन में 70 वर्ष लेखन को समर्पित करने वाले अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्रकार, 1997 में राज्य सभा के सदस्य रहने वाले, 1990 में ब्रिटेन के उच्चायुक्त रहने वाले, "द जजमेंट" जैसी 15 पुस्तकों के लेखक एवम 80 समाचार पत्रों को अपनी लेखनी से नवाजने वाले प्रख्यात लेखक एवम मीसाबंदी कुलदीप नैय्यर सच्चाई, सद्भावना और संवेदना को कलम से साकार करने वाले एक महान पत्रकार थे! वे लोकतंत्र की मजबूती के लिए जीवन पर्यन्त सक्रिय रहे। तथा मानवाधिकार आंदोलनों को मजबूत बनाने में उनकी भूमिका एक पत्रकार से अधिक एक आंदोलनकारी के रूप में थी। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता को एक नई दिशा प्रदान करने वाले एवम "बिट्वीन्स द लाइन्स" कॉलम में निरंतर अपने साप्ताहिक लेख लिखने वाले स्व.नैय्यर की कलम ने इस देश में एक क्रांति पैदा की, यही कारण था कि जितनी लोकप्रियता उनकी हिंदुस्तान के अंदर थी,उतनी ही ख्याति देश के बाहर भी थी।
2 अक्टूबर 1982 को मैंने छात्रों और नवयुवको का एक संगठन विंध्य क्षेत्र के स्तर पर गठित किया था जिसका नाम था "छात्र युवा मिलन 82" और मैं इसका संभागीय संयोजक था। इस संगठन के तहत 22 मार्च 1983 को स्थानीय कोठी कम्पाउंड स्थित वेंकट भवन के केंद्रीय कक्ष में एक सारगर्भित व सार्थक विचार संगोष्ठी आयोजित की गयी थी, जिसका विषय था- "भारतीय लोकतंत्र में पत्रकारों की भूमिका"। इस विचार संगोष्ठी के मुख्य अतिथि एवम मुख्य वक्ता कुलदीप नैय्यर थे जबकि संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार सुशील दीक्षित ने की, गोष्ठी का संचालन मैंने किया था। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पत्रकार, साहित्यकार, राजनेता, शिक्षाविद्, समाजसेवी और पत्रकार विशेष रूप से उपस्थित थे जिनमें प्रमुख रूप से वरिष्ठ इतिहासकार एवम शिक्षाविद प्रो. पी. के. सरकार, वरिष्ठ पत्रकार चारु झा, अनिल वाजपेयी, वरिष्ठ समाजसेवी अवधेश द्विवेदी, पूर्व विधायक बैढ़न श्याम कार्तिक, समाजवादी नेता ब्रहस्पति सिंह, युवा नेता सचिन तिवारी, कमल दीक्षित, बृज किशोर द्विवेदी एवम छायाकार बेबी बर्गीस आदि शामिल थे।
स्व.कुलदीप नैय्यर ने 1974 में बिहार से शुरू हुए लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में सम्पूर्ण क्रांति के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और भारत की तात्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा 25 जून 1975 को आपातकाल लगाये जाने का पुरजोर शब्दों में विरोध किया, जिसके चलते मीसा कानून के तहत उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी। जीवन के 95 वर्ष की उम्र तक स्व.नैय्यर निरंतर अपनी कलम देशहित, जनहित एवम लोकतंत्र की मजबूती के लिए चलाते रहे, सामाजिक सद्भाव के उद्देश्य से होने वाले कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे तथा अपने बेबाक व निर्भीक विचारों को व्यक्त करने के लिए जाने जाते रहे, उन्हें दिल्ली से रीवा लाने में वरिष्ठ समाजसेवी अवधेश द्विवेदी जी ने अपनी प्रमुख भूमिका निभाई थी।
आज ही के दिन एक वर्ष पूर्व स्व. नैय्यर ने अनंत लोक के लिए प्रस्थान किया था! आज उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर कलम के उस पुजारी को अर्पित है मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि!
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