श्रद्धाँजलि अरूण जेटली जी
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जनसंघ के साथी तुम थे,
भाव हृदय से भावी तुम थे।
श्रद्धा सुमन तुमको है अर्पित,
आखिरी वो बाराती तुम थे॥
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चल पडे थे जिस डगर पे,
राष्ट्र की सेवा मे हम तुम।
राष्ट्र गौरव के शिखर से,
पहले ही अब ना रहे तुम॥
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अरूण पर बलिदान तेरा,
याद रखेगा सदा ये।
भारतीय गौरव का परचम,
ऊँचा रखे तुम सदा थे॥
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दूर दृष्टि थी तुम्हारी,
उसका ये परिणाम ही था।
देश के निर्माण मे,
तू भी तो भागीदार ही था॥
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आखिरी पंक्ति मे तुमको,
देश का आभार है ये।
शेर मन व्याकुल हृदय से,
विदा आखिरी बार है ये॥
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