एक विशेष आग्रह के चलते, एक ऐसा लेख लिखने की चुनौती मिली, जिसमे पौराणिक पात्रों और आधुनिक समस्याओं का एक रूपक स्थापित हो सके, कुछ सीख भी मिले, कुछ मजेदार कहानी भी मिले.. कैसी लगी जरूर बताना...
लाखों वर्षों से सभी देवताओं में अपना अपना काम बँटा हुआ है, कोई दूसरे के काम मे हस्तक्षेप नहीं करता, ना ही सवाल उठाता है, शायद इसीलिए सब कुछ शांतिपूर्वक चल रहा था, पर शांति सदा के लिए नहीं रहती |
एक दिन, भारतवर्ष के एक व्यक्ति का बढ़ता हुआ नाम सुनकर इंद्र का माथा ठनका, "जिस रफ़्तार से इसका प्रताप बढ़ रहा है कहीं ये ब्रह्मा से मेरा इंद्रासन ना माँग ले"? समस्या तो वही पुरानी थी, लेकिन काफ़ी लंबे अंतराल के बाद प्रकट हुई थी | काफ़ी सोचविचार के बाद जब कोई उपाय नहीं सूझा तो नारद को बुलवाने का आदेश दिया गया | "नारायण, नारायण" करते नारद तुरंत ही आ पहुचे | इंद्र को व्याकुलता के साथ इधर उधर चहलकदमी करते देख स्वयं बोल पड़े, "लगता है स्वथ्य नहीं है प्रभु, आदेश हो तो गुरु बृहस्पति को बुलवा लूँ? या फिर कुछ अप्सराओं को ? आपके साथ-साथ मेरा मनोरंजन भी हो जाएगा" | "नहीं नारद जी, बस एक शिकायत करनी थी आपसे, सोचा सीधे सीधे ही कर लूँ" इंद्र ने बड़ी सादगी और चिंता भरी आवाज़ में सांस छोड़ते हुए कहा | उनके स्वर सुनकर एकाएक नारद भी विस्मित हुए, इंद्र ने आगे कहना शुरू किया " आजकल आपकी खबरें ताज़ा नहीं होती, पृथ्विवासी लोगों को देखो, तकनीक के ज़रिए क्या-क्या हासिल कर चुके हैं मुझे डर है कहीं मानव की बढ़ती हुई उपलब्धियाँ उन्हें इंद्रासन की ओर ना आसक्त कर दे" | एक शब्द में पूरा मजमून भाँप लेने वाले नारद जी भी कुछ समझ नहीं पा रहे थे " |
"हुजूर ने जितनी बार भी पृथ्वीवासियो से पंगा लेने की कोशिश की है मुँह की खाई है, और विशेष रूप से भारतवासी, ना बाबा ना | मेरा सुझाव तो यही है कि स्वर्ग पर किसी तरह का कोई संकट ना मानकर इस बात को यहीं रफ़ा दफ़ा कर दिया जाय" नारद ने संकोच के साथ अपनी बात रखी | "पर उन्हें इतनी जानकारी और खबरे इतनी जल्दी मिलती कैसे हैं" इंद्र ने पूछा, "मोबाइल, जनाब मोबाइल" नारद ने तपाक से उत्तर दिया, "इसी मोबाइल तकनीक के जरिये वो कई योजन दूर हुई घटना को तुरंत देख लेते हैं, बात कर लेते है और जानकारी साझा कर लेते हैं", काफ़ी लंबी तकरार के बाद, कुछ नया करने की सोच लिए, दोनो इस बात पर सहमत हुए कि स्वर्ग अब से भारत-वासियों पर कड़ी नज़र रखेगा और स्वर्ग की संचार व्यवस्था को पृथ्वी की तकनीक के ज़रिए उत्तम बनाया जाएगा | तुरंत ही यमराज को आदेश प्रसारित हुआ के नर्क से उन पृथ्विवसियों का स्वर्ग में अस्थाई तबादला कर दे जो मोबाइल नेटवर्क तकनीक के जानकार हैं, मोबाइल नेटवर्क के स्थापित होते ही उन्हे पुन: नर्क में प्रतिस्थापित कर दिया जाएगा | यमराज वैसे भी इस प्रकार के लोगों की नर्क में अधिकता से संशय में थे और स्वयं इस समस्या का कोई हल खोज रहे थे, देवराज की बात सुनकर उन्हे पृथ्वी की वो कहावत याद आ गई, "आम के आम गुटलियों के भी दाम" | नरक में कम होती जगह की समस्या भी दूर हो जाएगी और नकारात्मक तत्वों से भी छुटकारा मिलेगा |
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