अच्छे लोग-कैसे पहचानें
कोई भी व्यक्ति स्वयं को बुरा नही मानता। बड़े से बड़े अपराधी के पास उसके अपराध की कोई न कोई वजह जरूर होती है जिससे वह स्वयं को निर्दोष मानता है। जब सभी खुद को अच्छा ही मानते हैं,तो प्रश्न यह उठता है कि क्या सभी वास्तव में अच्छे हैं और सभी में कुछ न कुछ बुराइयाँ भी होती ही हैं, तो क्या सभी बुरे हैं?
अगर इन प्रश्नों को समझने का प्रयत्न किया जाए तो हमें ये ध्यान में रखना होगा कि अच्छाई या बुराई जानने के लिए व्यक्ति की कसौटी में नहीं, बल्कि कर्म की कसौटी पर देखना चाहिए। "प्रश्न ये नही होना चाहिए कि कौन सही है, प्रश्न ये होना चाहिए कि क्या सही है!" तब हम अच्छाई और बुराई के वास्तविक पहलुओं को समझ पाएंगे।
कोई व्यक्ति आपका हितैषी है, तो आपके लिये अच्छा होना स्वाभाविक है। वहीं वह व्यक्ति किसी के लिए बुरा भी होगा, यह भी स्वाभाविक है। जैसे साधारण तौर पर देखें तो भारतीयों के लिए भारतीय सेना अच्छी है और पाकिस्तानी सेना बुरी। यही बात विपरीत तौर पर भी सही होगी। जब एक ही व्यक्ति किसी के लिए अच्छा है और किसी के लिए बुरा; ऐसे में कैसे पहचाने कि वास्तव में वह व्यक्ति कैसा है?
पहले तो यह बात हम अपने जहन में बिठा लें कि कोई भी व्यक्ति बुरा या अच्छा नही हो सकता, व्यक्ति तो व्यक्ति होता है। "बुरे या अच्छे होते हैं उसके कर्म।" तो हमें उसके कर्मों के आधार पर ही तय करना चाहिए कि व्यक्ति कैसा है।
इस पर यह सवाल भी उठना स्वाभाविक है कि कौन से कर्म अच्छे हैं और कौन बुरे? क्योंकि बुरे लोगों के लिए बुरे लोग अच्छे होते हैं, तो क्या वो वास्तव मै अच्छे होते हैं? जाहिर सी बात है कि 'नहीं'। ऐसे में यह जानना अहम होता है कि हम अच्छे और बुरे कर्मों में फ़र्क़ स्पष्ट कर पाएं। "अच्छे और बुरे कर्मों में फ़र्क सिर्फ़ इस आधार पर किया जाना चाहिये कि उन कर्मों से समाज का, मानव समुदाय का कितना भला हो रहा हैएक आतंकी दूसरे आतंकी के लिए अच्छा हो सकता है, एक चोर दूसरे चोर के लिए अच्छा हो सकता है पर दोनों ही समाज के लिए घातक हैं अतः दोनों ही बुरे हैं।
अब हमें यह समझना आसान होगा कि कौन व्यक्ति अच्छा है और कौन बुरा। पर कई बार एक ही व्यक्ति कई अच्छे कार्य करता है और कई बुरे,
तो ऐसे में यह ध्यान रखना चाहिये कि गलत कामों के लिए उस व्यक्ति को कब तक माफ किया जा सकता है। जैसे कोई दोस्त आपका पेन चुरा लेता है, इस पर आप स्वाभाविक तौर पर आप माफ कर देते हैं, वहीं पर अगर वही दोस्त आपकी कोई बहुत कीमती चीज चुरा ले, या आपको धोखा दे दे; ऐसी स्थिति में आप माफ नही कर पाएंगे तब वह आपके नज़रिए में बुरा व्यक्ति कहलायेगा। क्यों? क्योंकि उससे किसी व्यक्ति विशेष का नुकसान हुआ है, उसकी भावनाओं को चोट पहुचीं हैं। सार्वभौमिक तौर पर कोई व्यक्ति बुरा या अच्छा नही होता बल्कि व्यक्ति के कर्म बुरे या अच्छे होते हैं, तब किसी स्थिति में वह अच्छा और किसी स्थिति में वह बुरा हो सकता है। यह स्वाभाविक है। तब यह प्रश्न ही नही उठना चाहिए कि कौन अच्छा है? या कौन बुरा?
"व्यक्ति के कौन से कर्म बुरे हैं और कौन से कर्म अच्छे यह भलीभांति जानकर हमें उसके अच्छे कर्मों को ग्रहण करना चाहिए, उनसे सीख लेनी चाहिए एवं उसके बुरे कर्मों का परित्याग करना चाहिए तथा वैसे कर्म हम न करें ऐसा प्रण करना चाहिए।"
इति!
अमन मिश्रा
(पाठक, लेखक)
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