जब जर्मनी के टुकड़े हो गये तो, बर्लिन शहर के बीचो-बीच एक दीवार खड़ी कर दी गयी..!!
पूर्वी बर्लिन और पश्चिम बर्लिन..!!
दोनो के झगड़े उस समय बुलन्दियों पर थे..!! एक बार पूर्वी बर्लिन के , “केजरीवाल” टाईप कुछ लोगों ने रात के अंधेरे मे , एक कूड़े से भरा ट्रक पश्चिम बर्लिन की तरफ उडेल दिया..!!
पश्चिम बर्लिन के लोग जब सुबह उठे तो देखा कि पूर्वी बर्लिन के “आपिये” छतों पर चढकर दांत निपोरते हुए , उनको चिढ़ा रहे थे..!!!
पश्चिम बर्लिन के लोगों ने बिना कोई बवाल किये सारा कचरा साफ किया..!!!
फिर अगले दिन सुबह,जब पूर्वी बर्लिन के लोग उठे तो उन्होने देखा की , दीवार के सहारे ढेर सारा सामान , बड़े करीने से सजा कर रखा हुआ है..!!
उस सामान मे ब्रेड, दूध और अन्य खाने-पीने का रसद, दवाईयां , बच्चो के खिलोने, कंबल आदी थे..!!
उस सामान के स्टैक के ऊपर एक “तख्ती” टंगी थी , जिस पर लिखा था..
“आपके पास जो था वो आपने हमे दिया, हमारे पास जो था वो हमने आपको दिया”
कितनी बड़ी बात थी, “जिसके पास जो होगा वही न देगा”
पोस्ट का आशय ये है कि हमारे पास क्या है ये हम अपने अंतर्मन से पूछें..??
“द्वेश या प्रेम...?? हिंसा या शांती..?? मृत्यु या जीवन..??
हमने शताब्दियों के मानव विकास क्रम से क्या सीखा.?
धन अर्जित करने की योग्यता या फिर चोरी कर जीवन जीने की..??
अच्छी चीजों को विकसित करने की सरलता जो मानवता के काम आये या फिर उन सफलताओं पर बम्ब गिरा कर तहस-नहस करने की, जो औरों ने अपनी मैहनत, सामर्थ्य और लगन से अर्जित की है..!!
केरल और ऐसी कई प्रकृतिक आपदाओं मे आरएसएस के निस्वार्थ भाव से किये गए प्रयासों पर इस बात ने कभी प्रभाव नहीं डाला , कि वहां उसके कितने स्वंयसेवकों को घरों मे घुस-घुस कर काट डाला गया..!!
वो उनका मानव विकास-क्रम है, जो प्रत्येक स्वयंसेवक की रगों मे दोड़ता है..!!
उधर पाकिस्तान को ही देख लो...स्वयं बर्बादी के कगार पर खड़ा है...उसकी आवाम दो वक्त की रोटी को मोहताज है...लेकिन उसका परम उद्देश्य है..भारत की जमीन पर कब्जा करना..भारत को बर्बाद करना..!!
परसों मैने "इमरान खान" की उनके पार्लियामेंट में स्पीच सुनी..आधे घंटे तक..…वो सिर्फ चार शब्द ही कहता रहा..
हिन्दू, RSS, आइडियोलॉजी, मोदी...
खुद का जीवन न्योछावर कर दूसरों के काम आना, उन्हें विकसित करना, मानव जाति का उद्धार करना..ऐसी सोच और ऐसा निस्वार्थ भाव आप संघियो, राष्ट्रवादियों और सच्चे भारतीयों में देख पाएंगे... इसकी अपेक्षा आप पाकिस्तानियों, वामपंथियों, कांगीयों, आपियों और सैक्यूलरों से नहीं कर सकते..!!
ठीक ही कहा गया है..
“जिसके पास जो होगा, वही तो देगा”
साभार
दोनो के झगड़े उस समय बुलन्दियों पर थे..!! एक बार पूर्वी बर्लिन के , “केजरीवाल” टाईप कुछ लोगों ने रात के अंधेरे मे , एक कूड़े से भरा ट्रक पश्चिम बर्लिन की तरफ उडेल दिया..!!
पश्चिम बर्लिन के लोग जब सुबह उठे तो देखा कि पूर्वी बर्लिन के “आपिये” छतों पर चढकर दांत निपोरते हुए , उनको चिढ़ा रहे थे..!!!
पश्चिम बर्लिन के लोगों ने बिना कोई बवाल किये सारा कचरा साफ किया..!!!
फिर अगले दिन सुबह,जब पूर्वी बर्लिन के लोग उठे तो उन्होने देखा की , दीवार के सहारे ढेर सारा सामान , बड़े करीने से सजा कर रखा हुआ है..!!
उस सामान मे ब्रेड, दूध और अन्य खाने-पीने का रसद, दवाईयां , बच्चो के खिलोने, कंबल आदी थे..!!
उस सामान के स्टैक के ऊपर एक “तख्ती” टंगी थी , जिस पर लिखा था..
“आपके पास जो था वो आपने हमे दिया, हमारे पास जो था वो हमने आपको दिया”
कितनी बड़ी बात थी, “जिसके पास जो होगा वही न देगा”
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