ये नज़रें क्यों चुरा रहे हो मुझसे,
कुछ उधार लगते हो क्या...।
चेहरे की रंगत उतरी हुई है कुछ-
कुछ, बीमार लगते हो क्या...।।
इतनी बेरुख़ी क्यों मुझसे,किसी
और का यार लगते हो क्या...।
अब तरन्नुम लड़खड़ाती है तुम्हारी,
किसी का तलबगार लगते हो क्या।।
कभी आईने में देखो सूरत अपनी,
तुम खूबसूरत हर-बार लगते हो क्या।
©aman_g_mishra
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