जलप्रलय

बेशक आपदाएँ विनाशकारी होती है, पर वह मानव को एकजुट कर मानवता का पाठ भी सिखाती है |

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Adhiraj
Adhiraj 18 Oct, 2025 | 1 min read
Disasters don’t discriminate, but humanity unites!

                                                                 

 

" बाढ़ , भूकंप जैसी आपदाएँ अब आम है,

प्रकृति का संरक्षण कागजों तक बरकरार है ,

डूबते जन की आवाज हेलीकाप्टर तक पहुंचे कैसे ?

 अंत: दुखी ही दुखी का मददगार है | "

 

घने काले बादल उमड़ते जा रहे है और बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही | लगता है आज की रात भी बारिश होती ही रहेगी | आज जब सरपंच जी घर आए थे तो उसने भी कुछ बाते सुनी थी| वे कोई तैयारी करने की बात कर रहे थे | गांववालों के चहरों पर अब एक भय की छाया साफ़ नज़र आने लगी थी | उसके स्कूल में भी अचानक छुट्टियाँ कर दी गई | गगन की माँ उसके पिता से कहती है " जी, कि लागदा, जे रात बरसात रुक जे ता अपनी फ़सल बच जू ? " उसके पिता ने हताश भरी आवाज़ में कहा " हम्म ... कल बलविंदर दा खेत देखया सी, फसल पानी बीच डूब गई | बड़ा नुकसान होया | मैनु नहीं लागदा बरसात रुकुगी ... " इसका अर्थ स्पष्ट था कि अब उनका खेत खतरे की रेखा में है | उनके परिश्रम व मेहनत का फल अब भाग्य के हाथ में है | एक किसान के लिए उसकी फ़सल और उसके पशु ही जीवन का आधार होता है | इसके आगे गगन की माँ से कुछ कहते न बना, दोनों खामोश होकर किसी सोच में डूब गए |

उत्तरी पंजाब का यह भाग इस मानसून भीषण वर्षा का सामना कर रहा है | हिमाचल और उत्तरा खंड राज्य में बादल फटने की खबर से ये इलाका घबरा गया है | पिछले दो दिनों से लगातार बारिश हो रही है और नदी का जल स्तर बढ़ते चले जा रहा है | लगभग हर बीस तीस मिनट में कुछ व्यक्तियों का समूह गाँव की सीमा पर जाकर बढ़ते जल स्तर का जायजा लेते है | बच्चे , बुजुर्ग, महिलाएँ, जबान सभी के मध्य बाढ़ की ही बाते चल रही है| आज सरपंच ने कुछ लोगो को इकट्ठा कर गाँव की सीमा पर बांध बनाने का काम आरंभ किया | गगन अपने पिता के साथ गाँव की सीमा पर गया, गाँव के सभी युवा थैलों में मिट्टी भर नदी के पास बांध बना रहे थे | ये दृश्य उसके लिए रौचल व भय उत्तपन करने वाला था | बांध के पार जहां तक गगन की नज़र गई सब कुछ पानी में डूब चुका था | उसे याद है कैसे यहाँ दूर तक हरे भरे लहराते खेत नज़र आते थे , वह नदी के किनारे अपनी माँ के साथ आता जाता था | गाँव को शहर से जोड़ने वाली सड़क बाढ़ में लुप्त हो चुकी थी| यह जलप्रलय का दृश्य देख गगन सहम गया | बालक अवस्था में भी वह इस बात को समझ पा रहा था कि स्थिती नाजुक है | लोग बचाब का हर संभव प्रयास कर रह थे | सरपंच ने बांध कार्य सुनिश्चित करने के बाद आपातकालीन ग्राम सभा का ऐलान किया |

पंचायत ऑफिस  में सभा उपस्थित होने उपरांत सरपंच ने ग्राम वासियों को संबोधित किया -

" पीड़ दे निवासियों, जिमे की तुसी स्थिती देख रहे हो बाढ़ दी चपेट बीच कदे वी अपना पींड आ सकदा है | सरकार ने केहा है कि जल्द तो जल्द मदद भेजी जाएगी | आज असी ने बांध बना ता दीता, पर वाहेगुरु जाने ओह कद तक टिकुगा | तुहाड़े सारेया तो बेनती है कि इस मुसीबत दी घड़ी बीच इक दूजे दा साथ देवो | अपने घर बीच राशन और दवाइया इकट्ठी कर लो | अपने पशु किसी सुरक्षित जगह ते ले जावो | बच्चे ते बुजुर्गा दा ध्यान रखो | बाकी ऊपर वाला महर करे | " सभी शांती से इन दिशा निर्देशों व चेतावनी को सुन रहे थे | सरपंच के कथन पूरे होने के बाद सभा में एक नाकारात्म्क सन्नाटा फैल गया | गगन के पिता ने सन्नाटे को भंग करते हुए कहा -

" वीरों, जे बरसात रात तक रुक गई ता बाढ़ दा खतरा टल वी सकदा है, असी सारेया नुं उम्मीद ते हिम्मत रखनी चाहिदी है | " सरपंच ने इन शब्दों को सहारा देते हुए कहा - " हाँ वीरों, एह वी हो सकदा है कि कल तक स्थिती ठीक हो जावे | तुसी अपने अपने घर जाके चिंता छड़ के आराम करो, कल जो होउ देखया जाऊ | "

सभा समाप्त हुई और सब अपने अपने घर चले गए |

बारिश रात भर होती रही | लगभग रात के दो बजे किसी की चिल्लाने की आवाज आई | गगन के पिता अचानक उठे और बाहर  जाने के लिए जैसे ही पाँव पलंग से नीचे किया तो उनके पैर पानी से भीग गए | घर के भीतर पानी आ रहा था | गगन के पिता बाहर निकले तो उन्होने देखा हकीम अहमद खान अपने घर की छत पर चड़े ऊंची आवाज़ में बोल रहे था  " पानी आ गया उठ जो... बांध टूट गया... पानी आ गया " | सड़क पर पानी तेजी से बेहता जा रहा था | गगन के पिता भीतर आए और गगन और उसकी माँ को उठाया " उठो... गगन ... ओ गगन दी माँ ... जल्दी उठो पानी आ गया... समान छत ते रखाओ " गगन और उसकी माँ उठे तो घर में पानी देखकर चौक गए | उन्होने राशन, कपड़े और जरूरी सामान घर के ऊपरी कमरे में पहुचाना शुरू किया | रात ऐसे ही निकल गई | सुबह होते होते गाँव बाढ़ की चपेट में आ चुका था | सभी के घरों में पानी घुस गया था | सभी अपने घर की छतों पर चड़ गए | गाँव में कुछ ऐसे गरीब व्यक्ति भी थे जो अपने घर की छत पर भी नहीं जा सकते थे | इस समय इंसानियत के नाते गाँव वाले एक दूसरे की मदद करने लगे | लाला रुपचन्द ने अपनी हवेली की छत पर कई परिवारों को पनह दी | जो लाला अपनी शानो शौकत से नीचे बाते नहीं करता था आज मुश्किल की घड़ी में दिल खोल कर मदद का हाथ बढ़ा रहा है | इसी प्रकार मंदिरो, मस्जिद व गुरुद्वारों में भी बेघरो को शरण दी गई | लोग छतो पर चड़ ,मदद की उम्मीद में आसमान की और देखने लगे | देखते ही देखते जल स्तर बढ़ने लगा | लोग दुख के समय में ईश्वर से प्रार्थना करने लगे | आपदा के समक्ष मानव विवश है | यह प्रकृति जब अपना विक्राल रूप धारण करती है तो यह मानवीय इमारते, बांध, तकनीकी प्रबंध धरे के धरे रह जाते है | यह वसुंधरा जो सभी प्राणीयों का पालन पौषण करती है, मानव की लालची व विनाशकारी गतिविधियों को कब तक सहे ? अत: फिर यह आपदाएँ मानव को उसका अस्तित्व पुनः याद दिलाती है |बलविंदर छत पर बैठा इस त्रासदी को आँखों से देख रहा था | वह बेबस था | कल रात बारिश के कारण उसकी भैंस  मृत्यु को प्राप्त हो गई | एक किसान का उसके पशु के साथ संबंध बिलकुल वैसा ही होता है जैसे परिवार के अन्य सदस्य के साथ हो | बलविंदर जैसे ऐसे कई किसान थे जो इस आपदा में अपनी फसलें भी खो बैठे और पशु भी | अब कर्ज का भार बढ़ जाएगा और इन आपदा का असर उन पर कई वर्षों तक रहेगा |

 गाँव के पंडित रामदास की बेटी की तवियत बिगड़ने लगी | उसका बुखार बढ़ते देख पंडित जी घबराने लगे| उन्हे आशा थी कि घरेलू नुकसे से बेटी ठीक हो जाएगी और इसलिए वह अपनी बेटी को शहर डॉक्टर के पास नहीं ले गए थे | पर आज उसका बुखार बढ़ता जा रहा था | घर पानी में डूबा था | आस पास कहीं जाना असंभव था | उन्होने स्थिति की नाजुकता को भाँप सरपंच तक जैसे तैसे संदेश पहुंचाया | सरपंच  कुछ युवाओं के साथ पानी में आधे डूबे हकीम अहमद खान के घर पहुंचे | हकीम ने संदेश सुनते ही बिना किसी वो पर कहे चलने को तैयार हो गए | हकीम पंडित जी के घर पहुंचे, उन्होने बेटी की स्थिती देख कुछ औषधी से दवा बनाई | स्थिती को देख हकीम जी ने वही रात रुकना बैहतर समझा |

अगली रात फिर भीषण बारिश होने लगी | लोग खोफ में, जीवन की क्षणभंगुरता  का अहसास कर रहे थे | पिछले दिनो ही,  बाढ़ से हुई मृत्यु की खबर आग की तरह फैल गई थी | गाँव में न बिजली थी न कोई राशन पानी आने का साधन | अगले दिन पीने का पानी प्राप्त करना सबसे बड़ी समस्या बन गई | लोगों के पास खाने के लाले पड़ गए |  कई लोग बीमारियों से ग्रस्त हो गए | गाँव वाले एकजुट होकर इस कठिन समय का सामना कर रहे थे | गगन को वे बीते हुए दिन याद आए जब गाँव में पंचायत के चुनाव होने थे | गाँव जाति, धर्म, बिरादरी, अमीर गरीब, और आपसी मतभेद के कारण बट गया था | पर एक तरफ आज का समय है, आपदा के सामने गाँववासी एक जुट हो गए, वे सब मतभेद भुला दिए गए | आपदा जहां विनाशकारी होती है वहीं मानव समाज को एकजुट भी कर देती है |

गगन का स्वास्थ खराब होने लगा | घर में अब राशन खत्म होने को था | पीने का पानी भी एक दूसरे से मांग कर एवं सोच समझकर प्रयोग किया जा रहा था | पंजाब की यह अब तक की सबसे भीषण बाढ़ है | लोग में संयम अब भंग होने को है | गाँव वासी और सरपंच अब सरकार की मदद के भरोसे है | गगन के पिता अब बेचैन होने लगे | कई दिनों से लगातार वर्षा हो रही है और अभी तक कोई भी मदद नहीं आई | गगन की ओर देख वह अपनी इस स्थिती पर झुंझलाने लगे | प्यास के कारण गला सुख रहा था, भूख से शरीर मरा जा रहा था पर वह बेबस थे,अपने लिए और अपने परिवार के लिए | गाँव अपने संघर्ष की अंतिम स्थिती में था और तभी गगन के पिता को एक तेज हुटर की आवाज़ सुनाई दी | उन्होने आगे बढ़ कर छत से देखा तो एक नाव में आर्मी के कुछ जबान आ रहे थे | उनको देख गगन के पिता में मरती हुई उम्मीद  फिर जाग गई | उन्होने गगन की माँ की ओर देखा और बोले " हुन सब ठीक होजू मदद आ गई " गाँव भर में राहत की लहर दौड़ गई | और फिर आर्मी के साथ कई एन.गी.ओ राहत सामग्री के साथ गाँव में आ गए |

यह मनुष्य एक लघु कण मात्र है प्रकृति के समक्ष | जब जब आपदा मनुष्य को घेरती है , तब तब मानवता की परीक्षा होती है | मानव धर्म मनुष्य को हिम्मत प्रदान करता है ताकि आपदा काल में भी वह कठिनाइयों का सामना कर सके |         




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