बचपन

ज़िंदगी का एक सुकून भरा स्वर्णिम अंश

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Aarti Kushwah
Aarti Kushwah 26 Jan, 2023 | 0 mins read

ना दुखों का बवंडर,

ना ग़मों का मेला,

प्यारा था वो बचपन सलौना,

आँखों में अरमान थे,

चेहरे पर मुस्कान थी,

अपनी दुनिया के राजा/रानी खुद होना,

स्कूल की मस्ती,

घर का सुकून,

यारों की यारी,

ना दुनियादारी का कोई उसूल,

पल में रूठना और

पल भर में मान जाना,

दोस्तों के साथ कंधे से कंधा मिलाना,

ना बीते कल का ग़म,

ना आने वाले कल की फिक्र,

बस आज को मस्ती में जीना,

नन्हें से हाथों में रंग थे,

ज़िंदगी रंगीन थी,

मेलों के झूले थे,

दादी/नानी की कहानियाँ थीं,

चुपके से निंदिया रानी का आना,

और सुकून के साथ हमें सुला जाना,

जो मना किया जाए,

चोरी छुपके उसे आजमाना,

और स्कूल न जाने के लिए पेटदर्द का बहाना बनाना,

यही सब था हमारे बचपन का खजाना।




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Aarti Kushwah

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