चलो आज बात कुछ यूँ की जाए ,
आज़ादी के त्यौहार पर एक संकल्प लिया जाए ,
आज़ाद तो हो चुके हैं बाहरी हुकुमत से ,
अब अन्दर की गन्दगी को साफ़ किया जाए ,
शुरुआत करते हैं खुद से ,
औरों को जोड़ कर काफ़िला बनाते हैं ,
खिलने देंगें नन्हीं कलियों को ,
दहेज से देह को जलने नहीं देंगें ,
निर्भय रहे निर्भया हर शहर में ,
चलो थोड़ा-सा इंतज़ाम करते हैं ,
महफ़ूज रखेंगें औरों के घरों की अमानत को भी ,
आज यह संकल्प लेते हैं ................
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