सुमार्ग का तो कोई ज्ञान नही मुझे.. परंतु अब प्रतीत होता है जैसे एक राह ऐसी होगी जो जीवन को जीवंत कर पाए। मुझे ये आभास होता रहा की जीवन अब निम्न आभा पे है क्या हम में वो साहस नही की पौरुष का उपयोग ले सकें जैसे कभी उस सूर्य पुत्र ने लिया.. जब भी राह ये सवाल करती है मानव सदैव अपने तुच्छता और असहासि होने का प्रमाण अपने मौन में देते आया है। क्या प्रकृति के साथ मनुज का छल अच्छा है? आज उसमें सरलता है ही नही क्या यही मनु व्यवहार है.. सृष्टि मे मनुष्य के सृजन का क्या औचित्य है? एक रहस्यवादी बनके जब मेरा ये मनस शब्दों का सहारा लेता है तो मैं कोई लघुकथा नहीं बल्कि वो प्रकाशित शब्द लिख रहा होता हूँ.. जिसपे अमल करना इस कलम का कायनात पे जीत हाशिल कर लेना है।
आदिरमानी✍️💫
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