वो ठेहराव
उस पत्थर पर मेरा सारा सलिल समान अस्तित्व मानो जैसे तेजस समान होता रहा.. नियतांक की गणितीय संरचना मैंने सीखी थी.. मंद था कुछ जो व्याप्त था, किन्तु व्याप्ति का सारा रहस्य उसने मेरे उन नैनों में भर दिया, जो कहीं योग बिन्दु को एक टक लगाए देख रहे था..
वो मंद रहस्य, वो मंद होता मैं.. और उसका शिवलीन हो जाना.....
आदिरमानी✍️🌺
Paperwiff
by aadi