Quarantine day 2 गूंगी प्रेम कथा (भाग 1)

कहानी का उद्देश्य "कमियां"

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Manu jain
Manu jain 01 Apr, 2020 | 1 min read

ये कहानी है ग्वालियर के एक भीड़ वाले मोहल्ले में अकेले रहने वाले राहुल और वही पास के मोहल्ले में रहने वाली निशा की ....

वैसे राहुल जन्म से ही गूँगा था पर उस गली में उससे ज्यादा कोई नहीं बोलता था पेशे से इंजीनियर राहुल के पास कहने को बस डिग्री ही थी। आज कल वो दो वक्त की रोटी के लिए एक वेबसाइट पर ब्लॉग लिखने लगा था

राहुल हर सोमवार की तरह आज भी महादेव के मंदिर में पूजा करने गया था उसके चेहरे पर हमेशा की तरह आज भी एक मुस्कुराहट थी ...राहुल हर परिस्तिथि में खड़ा रहना जनता था और अपने अधूरे पन को कभी उसने अपनी कमी नहीं समझा जैसे ही वो अपनी पूजा करके बाहर निकला उसे निशा दिखाई दी अपनी एक सहेली के साथ वहाँ से गुज़र रही थी पीले सूट में कानो में अर्ध चंद्रमा कार झुमके और माथे पर चंदन की बिंदी लगाये हल्की भूरी रंग की आँखों वाली निशा प्यार पर विश्वास न करने वाले राहुल के दिल में घर कर गयी थी..... बैकग्राउंड में "पहली बार है पहली बार है जी " बज रहा था जब राहुल को होश आता निशा वहाँ से जा चुकी थी , जैसे ही राहुल ने वहाँ बैठी फूल वाली अम्मा से इशारों में पूछा "वो लड़की कहाँ गयी"

अम्मा तो शुरू से यह सब देख कर मुस्कुरा रही थी उन्होंने अपना हाथ उठा के एक गली की तरफ इशारा किया राहुल ने जब उस गली की तरफ देखा तब तक निशा उस गली के कोने तक पहुँच गयी थी ...राहुल भाग कर उसके पीछे चल दिया

थोड़ी दूर चलने के बाद जब निशा को लगा कि उसका पीछा हो रहा है तब वो पलट कर देखती हे तब तक राहुल एक कार के पीछे छुप गया था जैसे ही निशा आगे रखी हुई एक गाड़ी के साइड ग्लास में राहुल को देखती है और फिर पलट कर उसकी तरफ बढ़ती है

निशा- आप हमरा पीछा कर रहे हो

तभी उसकी सहेली बोल पड़ती है - निशा इन आवारा लोगो को तो पुलिस ही बताएगी चल इसे थाने ले चलते है।

राहुल जो पकड़े जाने के कारण डरा हुआ था और इस कारण कोई प्रतिक्रिया नहीं दे पाता है ...

निशा - रहने दो शक्ल से तो शरीफ लगता है

और राहुल की तरफ देख के कहती है आज पहली बार है, इसलिए छोड़ रहे है अगली बार ऐसा किया ना तो जूतियां पहले मारेंगे और पुलिस के पास ले जाएंगे वो अलग ,

फिर वहाँ से राहुल और निशा अपने अपने रास्ते निकल जाते हैं।

राहुल घर पर भी निशा के बारे में ही सोच-सोच कर मुस्कुराता रहता है उसकी आवाज़ बार बार उसके कानों में पड़ती है ऐसे ही दिन निकल जाता हैं

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