जब जब की है तुमने मुहब्बत मुझसे
तब तब की है तुमने रिश्तों में तिजारत मुझसे
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पैरों तले रौंदा है बेकद्री से मैंने अपना दिल
तब भी हुई है तेरे दिल की हर वक़्त हिफाज़त मुझसे
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अहद-ए-वफ़ा थी तहारत के जैसे दरमियान
अब बिछड़ना है तुम्हें तो हो रही है बग़ावत मुझसे
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गर्द की तपिश शायद झुलसा भी दे तुझको
रूह को ठंडक जो पहुंचाए वो रह-ए-उल्फत मुझसे
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यूं बरसा है तेरा इश्क़ मुझ पर वहशत के जैसे
तेरे ही इश्क़ की महफ़िल में तेरी ही शिकस्त मुझसे
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तिजारत-: business
अहद-ए-वफ़ा -: (निरंतरता का वादा) promise of constancy
तहारत -: पवित्र
रह-ए-उल्फत -:way of love
वहशत -: पागलपन
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