Quarantine day 14 ग़ज़ल

कुछ शेर मुहब्बत पर

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Manu jain
Manu jain 14 Apr, 2020 | 1 min read

जब जब की है तुमने मुहब्बत मुझसे

तब तब की है तुमने रिश्तों में तिजारत मुझसे

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पैरों तले रौंदा है बेकद्री से मैंने अपना दिल

तब भी हुई है तेरे दिल की हर वक़्त हिफाज़त मुझसे

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अहद-ए-वफ़ा थी तहारत के जैसे दरमियान

अब बिछड़ना है तुम्हें तो हो रही है बग़ावत मुझसे

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गर्द की तपिश शायद झुलसा भी दे तुझको

रूह को ठंडक जो पहुंचाए वो रह-ए-उल्फत मुझसे

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यूं बरसा है तेरा इश्क़ मुझ पर वहशत के जैसे

तेरे ही इश्क़ की महफ़िल में तेरी ही शिकस्त मुझसे

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तिजारत-: business

अहद-ए-वफ़ा -: (निरंतरता का वादा) promise of constancy

तहारत -: पवित्र

रह-ए-उल्फत -:way of love

वहशत -: पागलपन

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Manu jain

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