Quarantine day 12 नज़्म

उर्दू शब्दों का इस्तेमाल

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Manu jain
Manu jain 12 Apr, 2020 | 1 min read

बिख़री आबरू को देखकर भी खैरियत पूछ रहे हैं ।

पत्थर बूढ़ी इमारतों से तबीयत पूछ रहे हैं ।।

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हिज़्र की मौत से मरने वाले चुपचाप मरना चाहते है ।

मरने से पहले लोग उनसे कैफ़ियत पूछ रहे हैं ।।

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बिछड़े है जब-जब यार से तो रोई है हजारों आंखें ।

मैं तो रोई भी नहीं फिर भी आब -ए- तल्ख़ गिने जा रहे है ।

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अजब़ है कि कोय बे बुनियादी रिश्ता निभा रहे हैं ।

अदीब हैं वो जो बेवफ़ाई के बदले वफ़ा निभा रहे हैं।।

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आज़ मिलीं है तेग़ जिससे हुआ था कत्ल मिरा ।

हम उसपे बशर के हाथ का निशां ढूंढ रहे हैं ‌‌।।

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(आब-ए-तल्ख़ - आंसू ; कैफ़ियत -हाल

अजब़ - आश्चर्य ; अदीब - विद्वान ; तेग़ - तलवार ; बशर - आदमी )

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Manu jain

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