अंबर जितना बोझ रखें है सर पर
फिर भी कहता मुझ पर कोई बोझ नहीं है
बेटी को गोद लेता , सहलता और कहता
बेटी तुझ जैसा मेरी दुनिया में कोई नहीं है
घर में रंगत उससे , घर में बरकत है उससे
पिता परमेश्वर है दूजा और कोई नहीं है
उदास होने पर भी उदासी छुपाता है
पापा तेरे अलावा मेरी मुस्कान और कोई नहीं है
उसकी अंखियां मोती झलकें जाती
तब भी कहता लाडो मुझे दुःख कोई नहीं है
हूं जब तलक पापा मैं तेरी सल्तनत में
मेरे जीवन का हकदार बस तू है और कोई नहीं है
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
खूबसूरत सृजन दी
Bahut sundar
Thank you Sandeep ji 😊
Thank you neha ji
Bhuat khubsurat kavita
Thank you ma'am 😊
Wah bahut badhiya 👌👌
Thank you ekta ji
Please Login or Create a free account to comment.