अशआर

बा बहर ग़ज़ल के कुछ अशआर

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Manu jain
Manu jain 29 May, 2020 | 1 min read

सुनकर गैरों की बातें मुझे रूला दिया तुमने

बैठ महफिलों की ओट मुझे गोशा किया तुमने

(गोशा - corner)


मिरी मुहब्बत के ज़ुल्म की इंतेहा तो देखो

होंठों पे कांच का गुलाब सजाके बोसा किया तुमने

(बोसा -kiss)


सुना है मुहब्बत में चमन चुना है गुलाब का

फ़िर भी मिरा कांटों से छलनी कर दिया हिया तुमने

(हिया - heart)


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Manu jain

ManuJain

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • indu inshail · 4 years ago last edited 4 years ago

    Beautiful.

  • Manu jain · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thank you Indu mam

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