मैं छोटा सा था
जब मुझको अपनाया ना गया,
अनाथ केहकर मुझको
तब बुलाया था गया...
कोई छोड़ गया मुझे पुल के नीचे
बहती गंगा में
यां मुझे मां की गोद से चोरी कर
उठाया था गया
कभी रब ने छीन लिया मुझसे
मेरे मा-बाबा का सुख,
मैने सीखा था सिर्फ चलना
जब उनको दफनाया था गया
ना कभी सुने अब्बा के ताने
ना कभी खाई अम्मी की डांट,
मुझे प्यार की ममता से
कभी सहलाया ना गया
कोन होगा घर में सजदे को
ये खाब तो कब का छूट गया,
कभी गाली देके मुझको भी
रुलाया था गया
मैं छोटा सा था
जब मुझको अपनाया ना गया,
अनाथ केहकर मुझको
तब बुलाया था गया...
Comments
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बहुत सुंदर रचना बहन ❤❤
बहुत टचिंग
Thank you Udit bhaiya
Thank you sonnu ji
अच्छी लगी।
🙏🙏
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