ग़ज़ल

बहर - 22 22 22 22

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Manu jain
Manu jain 26 Aug, 2020 | 0 mins read
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रूखसत भी होना होता है

गुलशन भी खोना होता है


उस के लब की खूबी है ये

हर बोसा सोना.....होता है


हंसकर मिलते थे हम पहले

अब रो कर मिलना होता है


प्रेम करो ग़र फूलों से तब

पतझड़ भी सहना होता है


जीना सीखो हर पल में तुम

मर ने पर रोना..... होता है


क्या मतलब है ऐसे जर का

जिस पर ही लड़ना..होता है


शक करने से क्या होता है

अपना तो अपना...होता है


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Manu jain

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