तेरे इस प्यार के सामने ना जाने क्यों अंधे हो गए हम
आंख खुली तो पता चला बहुत निकम्मे हो गए हैं हम
बहुत काटें पेड़ हमने और सारा संसार दूषित कर दिया
तेरी सांसों को भी नहीं छोड़ा और वायु प्रदूषण कर दिया
तेरी मिट्टी में कभी एक अलग ही भीनी खुशबू थी
जो अब कूड़ा-करकट का जंजाल बन गया है
कोशिश करती बहुत हूं पर सुधरता नहीं संसार है
तेरी बारिश की बूंदें बहुत ही अच्छी लगती थी
कुछ दशक क्या बीत गए वो सुहावनी बूंदें
अम्ल वर्षा बन गिरने लगी है
हरा भरा तेरा आंचल खूब संवरने लगा था
लोगों ने नियत बिगाड़ी तो वैश्विक तापमान बढ़ने लगा है
सागर का पानी भी लहर लहर के बहता था
लोगों ने जहाज डुबोया और तेल सागर में ठहर गया है
हां दिए हैं हमने ज़ख्म कई और मां तुझे बहुत रूलाया है
हम मां वहीं बच्चे हैं जिसने तुझे बहुत तड़पाया है
टूटता देख रही हूं तुझे ना जाने कितने बरसों से
सरकार ने वादा किया था साफ करा देंगे नदी नाले परसों से
मुझे पता है मां तू भी ये झूठे वादों से अब परेशान हो गई है
पर क्या करूं मां ये वही खुदगर्ज इंसान हैं
कहती हूं इसलिए जब कभी भी समय मिले लगा दो तुम एक पौधा
ये देख खुश होगी धरती मां और इससे बढ़ जाएगा तुम्हारा औदा
दिख जाए तुम्हें कहीं भी पड़ा हुआ कचरा तो करदो साफ
ना फेंको तुम कचरा बाहर ना किसी को भी फेंकने दो आप
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
उत्कृष्ट सृजन
सटीक, वाह
बहुत बढ़िया👏🏻👏🏻
Thank you so much ❤️😊
बहुत बढ़िया, वाह
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