अटूट विश्वास

जब भी जिन्दगी में बुरा वक्त या परिस्थिति आये , हमें भगवान पर ओर खुद पर विश्वास रखना चाहिए , विश्वास बहुत बड़ी चीज़ होती है , विश्वास है तो दुनिया में हर चीज़ संभव है ! #iworshipyou

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Manu jain
Manu jain 28 Jun, 2020 | 1 min read

कविता को ईश्वर पर अटूट विश्वास है वह प्रतिदिन सुबह ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर भगवान का जप करती है , अपने परिवार की कुशलता हेतु ईश्वर से कामना करती है । कविता का मानना है कि जो उसके भाग्य में होगा , उसे वही प्राप्त होगा , कविता विवाह की उम्र पार कर चुकी थी , माता पिता को अब बेटी के विवाह की चिंता सताने लगी थी ।

एक दिन कविता के पिता रामसिंह कविता से पूछतें है कि " बेटा तुझे किस तरह का वर पसंद है , मैं चाहता हूं कि मेरी लाडो का व्याह वहीं हो जहां वो चाहे " 

तब कविता कहती हैं कि " पिता जी मेरे भाग्य में जो भी वर होगा मैं उसी से विवाह करूंगी , भाग्य से विरूद्ध न तो कभी हुआ है और न ही कभी होगा " 

यह सुनकर पिता रामसिंह क्रोधित हो गए और कहने लगे कि " अब मेरी जिस किसी पर सबसे पहले दृष्टि जाएगी मैं उससे ही तुम्हारा विवाह कराऊंगा , फिर चाहे वह लूला हो , अंधा हो या बहरा हो तुम्हें उससे विवाह करना होगा " 

"पिता आक्रोश में आकर बेटी कविता को कह देते हैं"

और कविता अपने भाग्य पर अडिग रहकर मान जाती है ।

कुछ समय बाद रामसिंह एक वन में टहलने जाते हैं और वहीं उनकी नज़र एक कोढ़ी व्यक्ति पर पड़ती है , अब जैसा की उन्होंने ने कविता से कहा था कि " जिसपर सबसे पहले दृष्टि जाएगी उसी से कविता को विवाह करना होगा " 

तो ऐसा ही होता है उस कोढ़ी व्यक्ति से कविता का विवाह हो जाता है तब 

कविता मन ही मन ख़ुद को आश्वासन देते हुए सोचती है कि " मेरे भगवन हमेशा मेरे साथ है वो जो करेंगे वो सब अच्छा ही होगा "

और दोनों माता पिता का आशीर्वाद लेते हुए विदा हो जाते है ।

कविता अपनी अटूट आस्था और विश्वास से ईश्वर की जाप , पाठ करती हैं और अपने पति का रोग ठीक करने के लिए भगवान के अभिषेक का शुद्ध जल (गंधोदक) लाकर , पति के शरीर के घावों पर लगाती है , वह नित्य जिनालय जाकर ईश्वर की आराधना करतीं और गंधोदक पति के घावों पर लगाती ।

पति के घाव भी धीरे-धीरे भरने लगे थे , उसके शरीर से आने वाली गंध अब मिटने लगी थी , उसका कुरूप शरीर अब रूपवान होता दिखाई दे रहा था । 

एक दिन आया जब कविता का पति पूरी तरह से कुरूप शरीर को त्याग कर रूपवान हो गया था , और तब कविता अपने पति के साथ पिता के घर जाती है और पति को पिता से मिलवाती है , रामसिंह आश्चर्यचकित हो जाता है और कहता है "कविता ये इतना मनमोहक युवक कौन है"

कविता कहती हैं

"पिता जी ये वहीं है जिनसे आपने मेरा विवाह किया था , मेरे पति"

तब रामसिंह कविता से पूछता है कि ये कैसे हुआ मैंने तो जिससे तुम्हारा विवाह किया था उसे तो कोढ़ था जो कि ठीक होना असंभव था फिर कैसे ?


तब कविता कहती है कि पिता जी मैंने अपने ईश्वर पर विश्वास बनाए रखा मैं जानती थी कि मेरे भगवन मेरे साथ कभी भी कुछ भी ग़लत नहीं होने देंगे , बस अटूट विश्वास और आस्था के कारण ही आज मेरे पति को कोढ़ जैसी भयाभय बीमारी से छुटकारा मिला है ।

सीख-: जब भी जिन्दगी में बुरा वक्त या परिस्थिति आये , हमें भगवान पर और खुद पर विश्वास रखना चाहिए , विश्वास बहुत बड़ी चीज़ होती है , विश्वास है तो दुनिया में हर चीज़ संभव है ।।


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  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    बेहद संदेशप्रद कथा लिखी है आपने दी। सच कहा आपने ईश्वर पर हमें सदा विश्वास रखना चाहिए सब संकटों से ईश्वर ही उबारते हैं।

  • Manu jain · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत आभार आपका संदीप जी 🙏

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