ग़ज़ल

बहर -: २१२२

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Manu jain
Manu jain 30 Jun, 2020 | 1 min read

याद रखना 

मुस्कुराना


दिल लगा के

गम छुपाना


ज़ुल्फ़ तेरी

इक फसाना 


नैन तेरे

शाइराना


ख्वांब ए दिल तुम

हो पुराना


पढ़ गजल अब

गुनगुनाना 


नज़्म मेरी 

तुम सुनाना


रात से चाँद 

तोड़ लाना


हो सहर जब

चहचहाना


याद आऊं 

तो बताना


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Manu jain

ManuJain

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