जब एक एक्सीडेंट से मेरा पैर टूटा तो सबने हाल पूछा
लेकिन जब मेरा आत्मविश्वास टूटा तब कोई क्यों नहीं आया
जब हड्डी के दो टुकड़ों के बीच लहू बहा तो सब घबरा गए
लेकिन जब मेरी हिम्मत बहती गयी तब कोई क्यों नहीं आया
जब मेरे पैर पर कटने फटने के निशान देखे तो सबने मरहम लगाई
लेकिन जब मेरा भीतर कटता जा रहा था तब कोई क्यों नहीं आया
जब मैं उस बाहरी चोट के दर्द में चिल्लाई तो सबने चुप कराया
लेकिन जब मैं दिल के दर्द से कराही तब कोई क्यों नहीं आया
जब तक घाव दिखाई न दे तो दर्द समझ नहीं आता
बाहर की चोटों पर मरहम लगाने तो सब आते हैं
लेकिन जब घाव अंदरूनी हो और गहरा हो
तब वे लोग किस गुफा में छुप जाते हैं
उस बाहर की चोट की मरहम हर घर में मिल जाती है
लेकिन उस मन के घाव की मरहम का क्या
वो क्यों नहीं रखता कोई
काश कोई दवा उसकी भी होती
फिर कोई चेहरा कभी छुपकर आंसूं नहीं बहाता
फिर कोई इंसा इस दर्द में नहीं कराहता...
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बेहतरीन सृजन
Thank u Sandeep
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