आज मुश्किल का वक्त है ,
कल सुकून भी मिलेगा
आज समाज से दूर रहो ,
दूर से ही आपस में प्रेम रखो
अपने हाथों को धोते रहो ,
सेनेटाइजर का उपयोग करते रहो
इम्युनिटी का ख्याल रखो ,
साथ ही गरीबों का भी ध्यान रखो
हम बार बार कहते रहे ,
हर हफ्ते मंडे क्यों आ जाता है
अब जब हर दिन संडे सा है ,
फिर घर में रहने में तेरा क्या जाता है
ईश्वर की हम तुच्छ सी रचना है ,
हमें जीवन का मूल्य समझना है
समय है सोच ले मानव ,
अभी हमें जीवन की श्वासें ज्यादा संचित करना है
एक दूसरे की रक्षा करके ,
करना है अब हमें अपना - अपना उद्धार
सुन्दर संसार का करना नहीं है हनन ,
भूल ना जाना सृष्टि के क्या है हम पर उपकार
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