Poetry contest (कविता)

हमें प्रकृति को फिर संवारना है

Originally published in hi
Reactions 0
1464
Manu jain
Manu jain 21 Apr, 2020 | 1 min read

आज मुश्किल का वक्त है ,

कल सुकून भी मिलेगा

आज समाज से दूर रहो ,

दूर से ही आपस में प्रेम रखो

अपने हाथों को धोते रहो ,

सेनेटाइजर का उपयोग करते रहो

इम्युनिटी का ख्याल रखो ,

साथ ही गरीबों का भी ध्यान रखो

हम बार बार कहते रहे ,

हर हफ्ते मंडे क्यों आ जाता है

अब जब हर दिन संडे सा है ,

फिर घर में रहने में तेरा क्या जाता है

ईश्वर की हम तुच्छ सी रचना है ,

हमें जीवन का मूल्य समझना है

समय है सोच ले मानव ‌,

अभी हमें जीवन की श्वासें ज्यादा संचित करना है

एक दूसरे की रक्षा करके ,

करना है अब हमें अपना - अपना उद्धार

सुन्दर संसार का करना नहीं है हनन ,

भूल ना जाना सृष्टि के क्या है हम पर उपकार

0 likes

Published By

Manu jain

ManuJain

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.