मेरी पहचान , मेरी शख्सियत

मेरी शख्सियत मेरा गुमान ।।

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Manu jain
Manu jain 29 Feb, 2020 | 1 min read

मेरी शख्शियत का अनुमान न लगा

लोगों की कही सुनी बातों से

गर शक है किरदार पे मेरे तो

मुझसे आके पूंछ मेरे

व्यवहार के बारे में

चंचल सा मिजाज है मेरा

शीतल सा अंदाज़ है मेरा

बड़ा निर्मल स्वभाव है मेरा

यूं गुमराह ना कर औरों को

तू अपने नापाक इरादों से

मेरी शख्शियत का अनुमान न लगा

लोगों की कही सुनी बातों से

लगता है मुझे

शायद....शायद ,

तेरा कुछ ताल्लुक है तो वो है

मेरे दिल में बसे जज्बातों से

जिसे बिखेरना चाहता है

तू अपने अल्फाजों से

मेरी शख्शियत का अनुमान न लगा

लोगों की कही सुनी बातों से

यूं तो बहुत तरसी हूं मैं

नाम को अपने

तरसी हूं मैं , पहचान को अपनी

अब जो हूं तो

परिवर्तक भी हूं ,

और परिचायक भी हूं

अकेले जन-जन पर भारी हूं

अंत हूं ,आदि हूं ,

दिशाओं को मिलाता है,

वो कोण हूं

इक नारी हूं मैं ,

हां इक नारी हूं मैं ।।

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Manu jain

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