कि आब-ए-हयात मैं हो जाऊं
तिरी लबों की प्यास , मैं हो जाऊं
जब तुम्हारा नाम ले कोई
तेरे आमदों में , मैं खो जाऊं
कि तिरी रूह में तलब उठे
और अस्ल-ए-इश़्क , मैं हो जाऊं
गर सुखा हुआ हो तन तेरा
सींचने उसे तर हवा , मैं हों जाऊं
तू ले मुझे अपनी बाहों में
आज थक के उनमें , मैं सो जाऊं
अब तड़प दिल में है ये जगी
खुद में खोकर भी तेरी , मैं हो जाऊं
अर्थ -:
आब-ए-हयात :- अमृत
आमद :- आगमन
अस्ल-ए-इश्क़ :-way of love
तर :- नमी
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