उसे उठा कर अंदर ले आता हैं और जब राहुल उस पत्र को खोलता है वो देखता है कुछ शब्द पानी की बूंदों से धुँधले हो चुके है,वो समझ जाता है ये केवल पानी नहीं बल्कि आसूँ हे जो उस पत्र को लिखते हुए निशा की आँखों से गिरे होंगे ,
Hello राहुल जी मै आपसे माफ़ी माँगना चाहती हूँ गुस्से में आकर मैने आपको पता नहीं क्या क्या उल्टा सीधा बोल दिया , हो सके तो मुझे माफ़ करना ....रही बात प्यार की तो हम इश्क विश्क वाली बात पर भरोसा नहीं करते पर हम आपसे दोस्ती जरूर करेंगे क्या आप हमारे दोस्त बनेंगे !?
आप दरवाजा नहीं खोल रहे थे तो हम ये पत्र यही रख के जा रहे हे , अगर आपने हमे माफ़ किया तो कल वहीं मंदिर पर हमसे मिलने आइयेगा
- निशा
पढ़ते पढ़ते एक आँसू राहुल की आँखों में से निकल कर निशा के आसूँ के निशान पर गिर जाता है
दोनों ही आज रात ठीक से सो नहीं पाए थे दोनों के मन में अंतरद्वन्द चल रहा था , निशा सोच रही थी क्या कल वो आएंगे और राहुल सोच रहा था कि कहीं कल भी गड़बड़ न हो जाये।
सुबह हुई राहुल मंदिर पहुँच गया और निशा का इंतज़ार करता है थोड़ी ही देर में वहाँ निशा आ गयीं
रोज की ही तरह वो आज भी बहुत प्यारी लग रही थी
आज उसने नाक में नथनी भी लगाई थी जो उसकी खूबसूरती को और भी बड़ा रही थी निशा राहुल के पास आकर कहती है हेलो राहुल जी,
राहुल अभी भी उससे नज़रे मिलाने में डर रहा था
"अरे डरिये नहीं आज नहीं चिलायेंगे" निशा मुस्कुरा कर कहती है
राहुल भी उसकी ओर देख कर मुस्कुरा देता हैं
अच्छा पहले मंदिर चले!? निशा ने पूछा
राहुल हाँ में सर हिला देता है वो मंदिर की तरफ जाने लगते है तभी राहुल को कुछ याद आता है वो पीछे मुड़ के भाग के फूल वाली अम्मा के पास जाता है वहाँ से फूल लेता है और अम्मा के पैर छूता हे , अम्मा आशीर्वाद देते हुए कहती है महादेव तेरी हर इच्छा पूरी करे , राहुल जब वापस लौटता है तब निशा दुप्पटे से अपना सर ढक रही थी हर बार की तरह राहुल की धड़कन वही रुक जाती हैं
बैकग्राउंड में " तू नज़्म नज़्म सा मेरी....." चल रहा था ।
चलें !? निशा कहती है
राहुल उसके पीछे चलने लगता हैं
दोनों दर्शन कर के बाहर आ कर वही मंदिर की सीढ़ियों पर बैठ जाते हैं
निशा - तो आपने हमें माफ़ किया
राहुल ( कुछ नहीं बोलता )
निशा - आप अपनी साइन लैंग्वेज में बात कर सकते हे मुझे आती है , थोड़े दिनों पहले ही एक वर्कशॉप में सीखी थी....मैं एक सोशल वर्कर हूँ तो उसमें काम आ जाती है।
राहुल - (इशारों में) माफ़ी तो मुझे माननी चाहिए आपका पीछा किया ,
और अपने दोनों कानो को पकड़ कर सॉरी बोलता है।
निशा - तो हमारे दोस्त बनोगे कहकर अपना हाथ आगे बड़ा देती हैं
राहुल भी अपना हाथ आगे बड़ा देता है
वही से बातो और मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया था वो कभी मंदिर में तो कभी कैफे में उनकी मुलाकात होती रहती थी , हर नये युगल की तरह मेसेजेस तो उनके भी दिन भर ही चलते हे
एक दिन जब वो दोनों मिले तब निशा थोड़ी चिंता में लग रही थी
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