मेरा नाम करन है और जो घटना मैं आज बता रहा हूं वो मेरे और मेरे कुछ दोस्तों के साथ आज से पांच साल पहले घटी थी
उस घटना को आज भी याद करके मेरा दिल दहल जाता है कि किस तरह से मेरी और मेरे दोस्तों की जान ख़तरे में पड़ गयी थी ।
मैं और मेरे तीन दोस्त मोहित , अर्जुन और तरंग हम सभी का बहुत दिनों से जंगल की वादियों में घूमने जाने का विचार चल रहा था पर हम सभी के परिवार वाले हमें अकेला जाने नहीं दे रहे थे
एक दिन हम चारों अपने विद्यालय जाने के बजाय एक जंगल की ओर घूमने की लालसा में चल दिए । हम लोगों ने सोचा था कि शाम तक घर लौट जाएंगे पर जैसे ही हम लोग जंगल के बीचों बीच पहुंचे मुझे वहां कुछ मनहूसियत सी महसूस होने लगी पर फिर मैंने सोचा कि शायद पहली बार यहां आने पर मुझे ऐसा लग रहा है तो मैंने उस बात पर ज्यादा गौर नहीं किया तब तक हम लोग जंगल में बहुत आगे तक पहुंच चुके थे और मेरे तीनों दोस्त मस्ती करने में मस्त हो गए थे तब मैंने मोहित,अर्जुन और तरंग से कहा कि कुछ देर में शाम होने वाली है तो अब हम सबको चलना चाहिए लेकिन वो लोग जाने को तैयार नहीं हुए और कहने लगे कि थोड़ी देर और रूक जाते है फिर चलते हैं
तो मैंने हां में हां कर दी । तब जैसे ही मैं आगे बढ़ने को हुआ तो अचानक से गिर गया मानो जैसे किसी ने मेरा पैर पकड़ लिया हो इस हादसे से मैं घबरा गया और चिल्लाने लग गया कि बचाव बचाव मोहित, तरंग बचाव ।
तब तीनों दौड़ लगाकर मेरे पास आए और मैंने उन्हें बताया कि मेरे साथ ये हादसा हुआ तो तरंग ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा उसे मेरी बात मज़ाक लग रही थी फिर मैंने उससे कहा कि ये कोई मज़ाक नहीं है मेरे साथ अभी सच में ऐसा ही हुआ है और मेरी बात मानो अब यहां से चलों , अब और आगे जाना हम सभी के लिए ठीक नहीं और तभी एक पेड़ के पास से एक आहट सुनाई पड़ी जिससे हम चारों बहुत घबरा गए और मोहित रोने लग गया फिर मैंने उसे चुप कराया और जैसे ही वो चुप हुआ तो ना जाने मोहित की तरह ही किसी लड़के के रोने की ज़ोर ज़ोर से आवाज़ आने लगी हम सभी का कलेजा मुंह में आ गया और हम लोग वापिस जाने के लिए तेज़ी से भागे । तभी सामने से एक साया आता हुआ दिखा हम लोग डर गए और आहिस्ता आहिस्ता चारों तरफ़ देखते हुए आगे बढ़ते रहे अर्जुन सबसे पीछे आ रहा था तभी पीछे से एक डरावनी सी आवाज आई जैसे ही मैंने पीछे मुड़कर देखा अर्जुन को कोई खींचता हुआ ले जा रहा था मैंने उसके पीछे जाने की बहुत कोशिश की पर तरंग ने जाने ना दिया । मैं , तरंग और मोहित बहुत डर गए ।
मैंने सोचा कि आज तो हम सभी का आखिरी दिन है और तभी तरंग मेरा हाथ छोड़ , एक पेड़ की ओर बढ़ने लगा मैंने उसे रोका पर वो नहीं रूका । मुझे लगा जैसे कि वो किसी के वश में है तब मैं और मोहित वहां से भाग गए भागते भागते हम दोनों बहुत थक गए और एक जगह जाकर आराम करने बैठ गए
इतने में मोहित की नींद लग गई और उसे देखते देखते मुझे भी नींद आ गई ।
कुछ समय बाद जब मेरी नींद खुली तो मोहित वहां नहीं था ।
मैं हक्का-बक्का रह गया और कुछ न सोचते हुए वहां से तेज़ दौड़ लगाकर भगवान का जाप करते हुए भाग गया ,आखिर में , मैं उस जंगल से बच निकला ।
इस भयाभय दुर्घटना में , मैं तो बच गया पर मेरे दोस्त आज तक वापिस नहीं लौटे ।
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