चाहे आप गद्य रचना लिखते हों या पद्य रचना। रचना कुछ इस तरह लिखिए कि पाठकों को आपकी रचना पढ़ने की बेसब्री से प्रतीक्षा हो। रचना पाठक के हृदय को स्पर्श करेगी तो पाठक ज़रूर चाहेगा आपकी रचनाओं को पढ़ना। आपकी रचनाएँ पाठकों को पसंद आए इसलिए अति आवश्यक है कि आप रचना तैयार करने के क्रम में पूरी मेहनत करें। रचना में इतना निखार लाएं कि पाठक रचना की पहली पंक्ति ही पढ़े तो उसका मन प्रसन्न हो जाए। रचना सकारात्मक विचार से लबरेज़ हो इसका भी ख़्याल रखिए। इससे पाठक प्रभावित होगा ही साथ ही आपकी लेखनी की भी प्रशंसा होगी और आगे आप अच्छा लिखने का प्रयत्न करेंगे।
यह ज़रूरी नहीं है कि एक दिन में आप पाँच से दस रचनाएँ लिख डालिए। एक ही रचना लिखिए पर वह रचना सबसे बेस्ट हो इसका ख़्याल रखिये। रचना के निर्माण में पूरा समय दीजिए। जितना समय आप रचना लिखने में देंगे उतनी ही निखार आएगी आपकी रचना में व पाठकों को भी पसंद आएगी।
रचना में एक भी पंक्ति ऐसी न हो जिसमें नकारात्मक विचार शामिल हो इस बात का विशेष ख़्याल रखिए। यदि रचना लिखने के क्रम में आप हड़बड़ी करेंगे व कुछ ऐसा विचार शामिल कर देंगे रचना में जो सही नहीं है तो पाठक आपकी रचना से दूरी बना लेंगे। आप अच्छी भी रचना लिखेंगे तो पाठक आपकी रचनाओं को नहीं पढ़ेंगे। तो इस बात का ध्यान रहे कि रचना जितनी अच्छी रहेगी उतना ही अच्छा है।
यदि पाठक आपकी रचना पढ़कर प्रसन्न होंगे तो यकीनन टिप्पणी करेंगे तो उनकी टिप्पणी का प्रतिउत्तर अवश्य दीजिए। पाठक और लेखक में घनिष्ठ संबंध होना चाहिए। यदि लेखक पाठक की टिप्पणी का प्रतिउत्तर नहीं देते हैं तो पाठक के मन को आहत पहुंचती है। इसलिए पाठक का भी विशेष ख़्याल रखना चाहिए लेखकों को। यदि पाठक पढ़ेंगे ही नहीं हमारी रचनाओं को तो हमें हौसला कैसे मिलेगा आगे कुछ और लिखने के लिए। तो इसलिए पाठक के साथ रिश्ता कायम रखिये।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
सही कहा 👏👏
बिल्कुल सही बात कही
हार्दिक आभार आपका माता श्री
हार्दिक आभार आपका बबिता दी
बहुत सही बात बताई है आपने
जी दी हार्दिक आभार आपका
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