विचित्र
कितना विचित्र है
मनुष्य का मनुष्य द्वारा ठगा जाना
किसी की झोपड़ी तोड़
अपना महल बनाना
दुःख की घड़ी में जिसको अपने सबसे करीब पाते है
आखिर मे उससे भी अपनी खुशियों को छुपाते है
अपने चवन्नी के फायदे के लिए
किसी को रुपया का नुक्सान करवाते है
इतना पेतरा अजमते है
लोग यह क्यों भुल जाते है
एक दिन सबने जाना है
सदा के लिए किसी को नहीं यहां घर बसाना है
Paperwiff
by Jyotimishra