तुम मिले

इंतजार में शबभर जगा रहा

Originally published in hi
Reactions 1
602
Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 22 Nov, 2020 | 1 min read
Love Romance

पर्दे उठे,    पर्दे गिरे

एकटक निहारता मैं

सांसें बढ़ी ,सांसे थमीं

भीतर से सिहरता मैं


हथेली की लकीरें देखीं

बारबार लगातार मैंने

पलकें उठी नजरे गिरीं

डाले फिर हथियार मैंने


मुस्कुराती नजरों  का

सामना किया न कभी

थर्रायी नजरें जमने  को

बेबश,बस रुक जाए अभी


जुबाँ थमी ,मस्तिष्क मौन

ह्रदय गोते लगा  रहा

तुम मिले हां ! मिले जब भी

मैं शबभर जगा रहा ।


1 likes

Published By

Dr. Pratik Prabhakar

Drpratikprabhakar

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.