संकटमोचन

और ऐसा भला हो सकता था कि बजरंगबली अपने प्रिय भक्त की मदद न करें।।

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 05 Nov, 2020 | 1 min read
Fictonal Story Childhood Devotional

"पवनपुत्र हनुमान की जय" मंदिर में जयकारा लगाया जा रहा था। और "जय" की आवाज़ जो जोर से कह रहा था वो था सुब्बु। सुब्बु हर शनिवार एवं मंगलवार को अपने दादा जी के साथ हनुमान मंदिर जाता था।  

एक तो इसी बहाने उसे मंदिर में प्रसाद खाने को मिलता तो दूसरी ओर मंदिर से लौटते वक्त दादाजी उसे कोई न कोई चॉकलेट जरूर दिलवाते थे।


सुब्बु थर्ड ग्रेड में था। घर पर तो काफी खुश रहता था लेकिन स्कूल जाना नहीं चाहता था। चूकिं क्लास के ही कुछ स्टूडेंट्स उसे मारते थे और सुब्बु कि टिफ़िन भी खा जाते थे। पर सुब्बु कर ही क्या सकता था।


एक बार मंदिर जाते रास्ते मे दादाजी ने सुब्बु को बताया कि हनुमान जी संकटमोचन होते हैं, सच्चे मन से जो कोई भी कुछ मांगता है, बजरंगबली उसे पूरा करते हैं। उसदिन सुब्बु ने हनुमान जी से मन ही मन मदद माँगी।


और ऐसा भला हो सकता था कि बजरंगबली अपने प्रिय भक्त की मदद न करें।। एक गोल मटोल बच्चे के रूप में पहुँच गए सुब्बु के स्कूल में। वहाँ जाकर सारे उत्पाती बच्चों के टिफ़िन खा लिए। उत्पाती बच्चों को भी समझ आ गया था कि वो उनसे जीतने वाले नहीं और ये सब इसीलिए हो रहा क्योंकि वो सुब्बु को परेशान करते थे।


सुब्बु समझ गया था कि हो न हो ये बजरंगबली ही हैं जो उसकी मदद करने आये हैं। आगे से किसी ने फिर कभी सुब्बु को तंग नहीं किया।

अब भी सुब्बु मंदिर जाता है और जोर से जयकारे लगाता है बजरंगबली की जय।

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