आज एक दोस्त का कॉल आया।मेरे कॉल रिसीव करते ही उसने कहा '" हैलो! उसने शादी कर ली ।"चूँकि यह नया नंबर था। मैं चौंक गया कौन बात कर रहा है और किसकी शादी हो गयी??
उधर से आवाज आयी" मैं सूरज बोल रहा हूँ।' मैं समझ गया कि किसकी शादी हो गयी है। उसने फिर कहा " जानते हो उसकी शादी हो गयी " इधर मैं मुस्कुरा रहा था।
दरअसल अनुप्रिया की शादी हो गयी थी। आप पूछेंगे "अनुप्रिया कौन ?" मैं कहूंगा सब्र रखिये ।
दरअसल में मुझे राज्यस्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में तीन लोग मिले थे। चूँकि उनका स्टाल मेरे पास ही था, मेरी उनसे अच्छी जान पहचान हो गयी थी। एक था सूरज ,एक अनुप्रिया ,एक मृगांक।
सभी सासाराम जिले के थे।
उस वक़्त मैं कक्षा दस में था। वो भी मेरे समकक्ष थे। सूरज ने मेरा फ़ोन नंबर लिया था और कभी कभी मेरी उससे बात होती थी। प्रदर्शनी तीन दिनों की थी , फिर हम लोग अपने घर लौट आये।
कुछ महीनों बाद सूरज ने कॉल किया होली के दिन और उसने बताया कि अनुप्रिया से उसकी बात होती है। कुछ दिनों बात पता चला वो अच्छे दोस्त बन गए हैं।फिर कई महीने तक मेरी बात नहीं हुई।
फिर जब मैं ग्यारहवीं में था, सूरज का कॉल आया और उसने बताया कि अनुप्रिया जिसे वो प्यार से प्रिया कहता था किसी और के चक्कर में है।
मैंने पूछा " किसके?"
उसने कहा " मृगांक के"
मैंने कहा " क्या?"
उसने कहा" हाँ"
मैं सोंच में पर गया फिर मुझे याद आया ये तो वही लड़का है जो प्रदर्शनी में मिला था ।
मैं सूरज का ढाढस बढाने लगा ।चूँकि सूरज दूसरे स्कूल का स्टूडेंट था तो केवल फोन पर ही उसकी बातचीत हो पाती थी । पर मृगांक प्रिया के स्कूल और क्लास का छात्र था ।हालांकि सूरज प्रिया से दो-तीन बार मिला था पर अपनी बात बताने से झिझकता था।
कभी-कभी मुलाकाते छोटी पड़ जाती है किसी को अपनी बात बताने के लिए प्रिया के प्रति सूरज का आकर्षण काफी बढ़ता चला गया पर प्रिया इन बातों से अनजान थी उसका आकर्षण मृगांक की ओर बढ़ चला था उसने सूरज का कॉल रिसीव करना बंद कर दिया और अपनी एक अलग दुनिया बना ली।
प्रिया के पिता एक वकील थे उनकी असमय मृत्यु हो गई । मां तो पहले से ही नहीं थी। दो भाई थे और उसमें से एक भाई मानसिक बीमारी से ग्रसित। बड़ा भाई, जो ठीक था उस पर प्रिया का दायित्व आ गया।
सूरज प्रिया का पीछा करने लगा । एक दिन कोचिंग से घर जाने के दौरान रास्ते में उसने पिया को रोकना चाहा । प्रिया रुकी पर आखरी बार । उसके बाद वह कभी कोचिंग नहीं गई ।
मृगांक ने उससे कई वादे किए। एक बार सूरज ने उसे मृगांक के साथ सिनेमा हॉल की कॉर्नर सीट पर भी देखा । सूरज के अरमां बिखर गए थे ।
अभी पिछले दिन जब सुबह में सूरज साइकिल से कॉलेज जा रहा था उसने प्रिया को दुल्हन के रूप में कार में देखा उसका दिल धक से बैठ गया। कार पर लगी पर्ची में प्रिया परिणय डॉ. अभिनव लिखा था।
मृगांक अपनी तैयारी के लिए कोटा चला गया था । प्रिया के भाई ने उसकी शादी तय कर दी थी कभी-कभी आकांक्षाएं अधूरी रह जाती है भविष्य सब को डराता है चाहे अनचाहे कदम पीछे हट ही जाते हैं। प्रिया ने पीछे मुड़कर सूरज को देखा फिर कार का शीशा ऊपर कर दिया सूरज कोचिंग जा रहा था। शायद पीछे कुछ छूटा था और मुड़ कर पीछे देखने का वक्त ना था।
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