दिल ही जला

दिल ही जला, दीपक न जला

Originally published in hi
❤️ 1
💬 0
👁 757
Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 13 Nov, 2020 | 1 min read
Deepawali

दिल ही जला ,   दीपक न जला

उगता हुआ   सूरज    भी ढला

वो जो कहते है   चले    आओ

नहीं आती गम भुलाने की कला।


दिल का दिवाला निकला मुरझाई काली

न जाने तू किस विषम मोड़ पर मिली

अंतरात्मा की पुकार      सुनूँ या तुम्हें

मुरझाई कली बता अब    कैसे खिली?


वो जो चाँद चमक था  चंद्रमासी को

चांदिनी छिटकी थी जैसे     दासी हो

ऐसे ही उच्छ्वास की गहराई में जाकर

तुम कहती अविश्वास छोड़ विश्वासी हो।


फूलों को सींचता है जब माली

प्रत्युत्तर देती है हर द्रुम डाली

क्यूँ मैं भी भूलूं  अब भूत को

मनाऊं तेरे संग होली दिवाली।



प्रतीक


1 likes

Support Dr. Pratik Prabhakar

Please login to support the author.

Published By

Dr. Pratik Prabhakar

Drpratikprabhakar

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.