कभी हँसती थी आँखे
क्यों आज नम है?
किसकी जिंदगी में
हताशा कम है?
रोज सुबह से शाम
न दिल को चैन
हर पल पग पग
पर निकलता दम है।
उठते हर रोज ही तो
करते सब जरूरी
पाने सपने को हम
सब बेदम है।
एक पल ठहर ,
साँस तो ले ले
ये सोच मुस्कुरा
किसे न गम है???
कभी हँसती थी आँखें आज क्यों नम है?
कभी हँसती थी आँखे
क्यों आज नम है?
किसकी जिंदगी में
हताशा कम है?
रोज सुबह से शाम
न दिल को चैन
हर पल पग पग
पर निकलता दम है।
उठते हर रोज ही तो
करते सब जरूरी
पाने सपने को हम
सब बेदम है।
एक पल ठहर ,
साँस तो ले ले
ये सोच मुस्कुरा
किसे न गम है???
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