"भईया एक सिगरेट देना।" बाइक से उतरते हुए ही रमेश ने चौराहे पर लगे गुमटी वाले से कहा। गुमटी में एक घनी सी मूछ रखने वाला आदमी था , मानो रावण के राज में उसके सेवक ऐसे ही रहे हों।पान बनाता वो दूसरे ग्राहक से पूछ रहा था कि कितनी सुपारी और कितना कत्था डालना है। स्पेशल पान में अलग से गुलकंद भी डालता था वो पर सभी तो नहीं ना खाते। जितने रुपये जेब में वैसा भोजन पेट में यही दुनिया की रीत।
रमेश ने फिर कहा "एक सिगरेट देना भईया।" अभी उसने सिगरेट माचिस से जलाना ही शुरू किया था कि पास ही सड़क पर पुलिस की जीप से उतरे कुछ सिपाहियों ने एक सब्जी वाले का ठेला पलट दिया।
और कारण ये था कि कोरोना कर्फ़्यू का समय हो गया था। बूढ़े सब्जी वाले को दो डंडे भी लगाये। बेचारा सब्जीवाला सड़क के किनारे आ गया और उसकी सब्जियां नाली में और कुछ सड़क पर, कुछ पुलिस वाले के पैरों से रौंदी गयी कुछ उनके जीप के पहियों के नीचे आ हरी से भूरी हो गयी।
पुलिस वाले लौटते हुए गुमटी पर भी आये और चार पान बनवाये,पान खाये पर गुमटी नहीं बंद करवाएं ।गुमटी के पास खड़ा रमेश वहां से हट गया और पास ही के चाय की दुकान पर पहले से आर्डर किया चाय पीने लगा।
जब चाय ख़त्म हुई तब तक सिगरेट भी फ़िल्टर तक ख़त्म हो चुकी थी । उसे नीचे फेंकते हुए पैरों से दबा दिया रमेश ने , ठीक वैसे ही जैसे सब्जियां रौंदी गयी थी।
सिगरेट के पैसे चुकाते हुए उसने गुमटी वाले से सुना कि सब्जीवाले की बेटी की हाल में ही शादी है पर ग़रीबी तो देखिए बेटी की हाथों में मेंहदी सजवाने के ख़्वाब ने इस बूढ़े का हाल क्या कर दिया ऊपर से इस मुये कोरोना ने न जाने कितनों का कितना बिगड़ा।
उधर सब्जी वाले ने कुछ अच्छी बची सब्जियों को सड़क से उठाकर ठेले पर रखना शुरू किया । कुछ लोग तभी वहां धमक पड़े और कहने लगे कि ये तो नाली में सब्जियों को धो रहा। अब क्या, और लोग जमा हो गए, कुछ मारने को उतारू। रोड पर हुए मारपीट में तो काफ़ी लोग हाथ साफ कर ही लेते और कुछ के लिए तो यह एक अच्छा अवसर होता है हाथ आजमाइश का । सब्जीवाले को मारने लगे लोग। रमेश दौड़ा, साथ ही दौड़ा गुमटी वाला रौबीला आदमी पर तब तक भीड़ ने सब्जीवाले को लहूलुहान कर दिया था।
गुमटी वाले के कहने पर रमेश ने उसे पास के सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया। सब्जीवाले का सिर फट गया था। अभी अचेत था।
सब्जी वाले के घरवाले आये । उसकी बेटी सिर पर हाथ रखे कह रही थी "सब मेरे कारण हुआ"।
बेटी के हाथों में लगी मेंहदी का रंग कत्थई लाल हो गया था ठीक वैसा ही लाल जैसे उसके पिता के सिर से निकले खून का।
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