लौ का अंत

दूजों की खुशी को जल जाना

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 06 Nov, 2021 | 0 mins read
Diwali Lights Flame

एक दीये की झिलमिल लौ

निहित ताक़त कि जलाये सौ

चाहें हवा का रुख़ ही बदले

फिर भी लौ, रहती है संभले।।


तेल के हर कतरे का उपयोग

बस यही तो उस लौ की सोंच

मिटाना तिमिर स्व के अंत तक

गाथा रहे न रहे अमर अनंत तक


बस एक ही लक्ष्य, एक दिशा है

मन में उसके न कोई अंदेशा है।

दूजों की खुशी को जल जाना

बस यही धेय्य को उसे अपनाना।।



बंधु हमने उससे सीखा कितना

आओ लक्ष्य अपनायें लौ जितना।

लड़ेंगे और जीते सभी अंत तक

गति हो लौ के प्रकाश जैसे अनंत।

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Dr. Pratik Prabhakar

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