मिलना है

मैं तो चाहता मिलना, क्या तुम्हें मिलना है

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 24 Nov, 2020 | 0 mins read
Firstlove Poem

हो गए काफी दिन

दिखे न तुम, न मैं

है गर्मी बहुत पर

क्या बर्फ सा पिघलना है?


रगों में विद्युत है ही

कौंधता कुछ सीने में

पागल हो न जाये अब

मन को निखरना है


मैं तो आ जाऊं राह पर

क्या निकलोगे छांह से

मैं तो चाहता मिलना

क्या तुम्हें मिलना है??


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Dr. Pratik Prabhakar

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