इमली (बाल कहानी)

बालकथा

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 11 Jan, 2022 | 1 min read
Child Childhood

"भैया ! पैसे दो ना !" वैभव ने कहा

सौरभ ने कहा " नहीं, फिर तू जाकर इमली खाएगा।"

"नहीं भैया पाचक खाऊंगा या चॉकलेट "वैभव ने उत्तर दिया।

सौरभ ने वैभव को दो रुपए दिये। सौरभ अभी पहली कक्षा में था तो वैभव के जी में पढ़ रहा था। कुछ दिन पहले ही उनकी मम्मी ने आकर गुमटी लगाकर बिस्कुट, चॉकलेट बेचने वाले लड़के को समझाया था कि वह वैभव को इमली ना खाने दे। पर वैभव से इमली खाये बिना रहा नहीं जाता था।

वैभव था शरारती और चालाक भी। उसने अपने एक सहपाठी को एक रुपए दिए और इमली लाने को कहा। एक रुपये में सोलह इमलियां मिलती थी।स्कूल में कक्षाओं के दौरान उसने आठ इमालियाँ खाली। 

अहा ! कितना आनंद आता है। अब छुट्टी का वक्त हो रहा था। वैभव, सौरभ पैदल घर की ओर निकले। शरारती वैभव ने कुत्ते के बच्चे को बोतल दे मारी। कुत्ते का बच्चा भड़क गया और उसपर भौंक कर दौड़ाने लगा। तभी वैभव ने दो इमालियाँ एक साथ खा ली और इमली जा फंसी वैभव के कंठ में। वैभव दर्द से करा उठा तब सौरभ का ध्यान उसकी तरफ आया। वह समझ चुका था कि माजरा क्या है। उसने उसे खांस कर पर इमली बाहर निकलने को कहा पर निकलती ही नहीं थी। 

अब क्या किया जाए सौरभ यह सोच रहा था कि एक बड़ी कक्षा का छात्र साइकिल से उनके पास से गुजरा। सौरभ ने उससे मदद मांगी। उस छात्र में वैभव को पीछे से पकड़ा और छाती पर जोर लगाते हुए धक्का दिया। इसके बाद इमलियां उसके मुंह से निकल कर बाहर रोड पर गिर गई। 

अब वैभव के जान में जान आई और सौरभ के भी। सौरभ ने गौरव को डांटा। गौरव ने रुआंसा होकर जेब मे पड़ी इमली को जमीन पर फेंक दिया। सौरव ने उसे समझाते हुए घर पर इसस बात का जिक्र करने से मना किया।

अब जब सौरव और वैभव घर पहुंचे थे मां ने दरवाजा खोला पर उन्होंने मां से कुछ नहीं कहा। मां ने गौरव को देखकर कहा-

"आज तुम्हारे पसंद की इमली की चटनी बनाई है।"

सौरभ और वैभव एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे

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