💐💐।।बोधगया।।💐💐
मैंने जब से यहाँ गया मेंअध्ययन करना शुरू किया है मैं हमेशा यह कहता आया हूँ की मैं बहुत सौभाग्यशाली हूँ की मुझे गया की इस पावन धरती पर अध्ययन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है जहाँ भगवान बुद्ध के ज्ञान चक्षु खुले 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 मैं गया तो दो वर्षों से रह रहा परन्तु बोधगया जाने का सौभाग्य सिर्फ दो बार ही मिल पाया है। बोधगया सुन के आपके दिमाग में भगवान बुद्ध की ध्यांमग्न आकृति आएगी। अभी हाल में मैं फिर बोधगया गया। एक असीम शांति ,सौहार्द का अनुभव हुआ। 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
कौन जीता कौन हारा की कहानी याद आ गयी जिसमे भगवान बुद्ध अंगुलिमाल डाकू से कहते है क्या तुम टूटे पत्तों को पेड़ से पुनः जोड़ सकते हो । और अंगुलिमाल डाकू आत्मसमर्पण कर देता है।। यहाँ आकर भी आप यूँ ही अपनी आत्मा को शांति को समर्पित कर देते है।🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
महाबोधि मंदिर मुझे काफी आकर्षित करता है और शायद सैलानियों को भी करता है तभी तो वो इतने दूर से खिंचे चले आते है। श्रीलंका ,भूटान,थाईलैंड ,रूस, इंगलैण्ड और न जाने कितने देशों से लोग आते है।अब मैं जिक्र करना चाहूँगा उन तश्वीरों के बारे में ज़ो मैंने वहाँ देखीं।🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 इस वक़्त न तो कोई उत्सव है न ही कोई खास दिन वाबजूद इसके काफी सैलानी आये थे।मंदिर में प्रवेश के लिए लंबी कतार लगी थी।कई सारे लोग मंदिर के बहार प्रार्थना में तल्लीन थे। एक विदेशी सैलानी जो शायद चित्रकार होगा मंदिर की स्थापत्यकला से बुद्ध की तस्वीर बनाने में व्यस्त था।🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 श्रद्धालु भगवान बुद्ध के जहाँ चरण पड़े थे देख रहे थे ।मैं जिन साथियों के साथ दर्शन को गया था बोधि वृक्ष 🌳की छाया में बैठ गए।हमे भी शांति की तलाश थी । भगवान बुद्ध के जहाँ चरण👣 परे थे ,कमल के फूल 🌷के निशान बने थे ।हम भूत को वर्तमान में देख रहे थे।😊💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
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