कल रात भर करता इंतजार
किया स्वप्न से भी मिन्नते हजार
पूरा चांद निकला आसमान में
पर तुम नहीं आई ना।।
तारे गिन गिन रात काटी
तुम ना ही बनी मेरी साथी
आसमान साफ ,बादल नहीं
पर तुम नहीं आई ना ।।
पलकें ना गिराई कभी मैंने
गले नींद को ना लगाई मैंने
बैठा इंतजार करते रहा चांदनी
पर तुम नहीं आई ना।।

कब तक यूं ही रहूंगा बेकरार
कब तक रहेगी हमारी तकरार
आओ कि अब वक्त खत्म होता
पर तुम नहीं आई ना।।
Comments
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Nice
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