हाल में ही अंग्रेजी साहित्य के भारतीय ध्रुवतारा आर. के. नारायण जी का जन्मदिन था। अंग्रेजी साहित्य के प्रसंशक हों या दूरदर्शन पर सीरियल्स के शौक़ीन कोई ऐसा न होगा जो उन्हें नहीं जानता होगा। ख़ासकर "मालगुडी' के लिए।
"मालगुडी " एक काल्पनिक जगह थी जिसकी रचना उन्होंने की थी। जगह भले ही काल्पनिक थी आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है। हर पात्र को जिस प्रकार से जीवंत किया गया था कि वर्षों बरस तक भी उन्हें भुलाया नहीं जा सकता। दूरदर्शन पर तो इस कहानी संग्रह का प्रसारण बार - बार किया गया।
पात्रों से प्यार हो जाएगा या तो स्वामी से, या उसके दोस्तों से, या तो ऊंची प्रतिमा से या कथा विन्यास से। इसमें काफ़ी कुछ कहने को है, बतलाने को है।
भारत की आजादी के समय के इर्दगिर्द बुनी गयी कहानियाँ आज की पीढ़ियों को उस वक्त के हालात से मिलवाने में पूर्णरूपेण सक्षम होती हैं।
स्वामी की कहानियों के अलावा सभी छोटी- बड़ी कहानियाँ आपका ध्यान आकर्षित किये बिना नहीं रहेंगी।
मुझे लगता है कि आपने "मालगुडी डेज" देखी ही होगी। नहीं देखी तो जरूर से जरूर देखिए। आप चमत्कृत हुए बिना नहीं रहेंगे, ये वादा रहा।
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